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दिसम्बर, 28, 2025

BRICS Gold: डॉलर के वर्चस्व को चुनौती और बढ़ता स्वर्ण भंडार

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BRICS Gold: वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव की आहट सुनाई दे रही है, जहाँ BRICS समूह डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए सोने के भंडार को तेजी से बढ़ा रहा है। यह सिर्फ एक आर्थिक रणनीति नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को पुनर्गठित करने का एक सशक्त प्रयास है। जिस रफ्तार से BRICS देशों के केंद्रीय बैंक सोना खरीद रहे हैं, वह दुनिया की वित्तीय व्यवस्था में एक नए युग का संकेत दे रहा है।

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# BRICS Gold: डॉलर के वर्चस्व को चुनौती और बढ़ता स्वर्ण भंडार

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BRICS देशों का समूह, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे प्रमुख देश शामिल हैं, लगातार विस्तार कर रहा है। हाल ही में मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया और ईरान भी इस महत्वपूर्ण आर्थिक गठबंधन का हिस्सा बने हैं। इन देशों का मूल उद्देश्य वैश्विक व्यापार और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है, लेकिन अब इनका एक साझा लक्ष्य अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करना है, जिसके लिए सोने के भंडार में वृद्धि एक केंद्रीय रणनीति बन गई है।

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### BRICS Gold: सोने की खरीद में अग्रणी भूमिका

आज BRICS देशों के पास दुनिया के कुल सोने के भंडार का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं, अगर हम ब्रिक्स के सदस्य न होने के बावजूद मजबूत संबंध रखने वाले देशों को भी इसमें शामिल कर लें, तो यह आंकड़ा दुनिया के कुल स्वर्ण भंडार का 50 प्रतिशत तक पहुँच जाता है। यह दिखाता है कि कैसे एक बड़ा वैश्विक धड़ा डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए एक नई वित्तीय दिशा में आगे बढ़ रहा है।

सोने की खरीद के मामले में रूस और चीन सबसे आगे हैं। 2024 में चीन ने 380 टन सोने का उत्पादन किया, जबकि रूस ने 340 टन सोने का उत्पादन किया। इस क्रम में, सितंबर 2025 में ब्राजील ने 16 टन सोना खरीदा, जो 2021 के बाद उसकी पहली बड़ी सोने की खरीद थी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। या वेल्थ के डायरेक्टर अनुज गुप्ता ने इस प्रवृत्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा, “BRICS सदस्य देश ज्यादा से ज्यादा सोना प्रोड्यूस कर रहे हैं और कम बेच रहे हैं। साथ ही, वे इंटरनेशनल मार्केट से भी सोना खरीद रहे हैं।” उन्होंने आगे बताया कि मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, 2020 और 2024 के बीच BRICS देशों के सेंट्रल बैंकों ने दुनिया के 50 प्रतिशत से ज्यादा का सोना खरीदा।

### डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की दोहरी रणनीति

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सेंट्रिसिटी वेल्थटेक के इक्विटी हेड और फाउंडिंग पार्टनर सचिन जासूजा ने BRICS की इस दोहरी रणनीति को विस्तार से समझाते हुए कहा, “BRICS देशों द्वारा सोने के भंडार और सोने की खरीद पर बढ़ता नियंत्रण अमेरिकी डॉलर के दबदबे वाले ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में तनाव का एक अहम संकेत बनकर उभर रहा है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि हालाँकि अमेरिकी डॉलर दुनिया की मुख्य रिजर्व करेंसी बनी हुई है, लेकिन हाल के घटनाक्रम बताते हैं कि इसकी बेजोड़ बादशाहत को अचानक चुनौती देने के बजाय धीरे-धीरे चुनौती दी जा रही है।

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आज BRICS देशों की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक व्यापार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा हैं। ऐसे में, इनके मौद्रिक फैसले दुनिया पर गहरा असर डालते हैं। इन देशों का लंबे समय से एक ही मकसद रहा है— अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना। दरअसल, ब्रिक्स देश डॉलर के दबदबे को खत्म करना चाहते हैं और अपने प्रभाव क्षेत्र में नई करेंसी को ताकतवर बनाना चाहते हैं। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

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### वैश्विक अर्थव्यवस्था पर BRICS का बढ़ता प्रभाव

BRICS देशों की यह रणनीति वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर इशारा करती है। वे न केवल अपने आंतरिक व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि सोने को एक वैकल्पिक आरक्षित संपत्ति के रूप में भी मजबूत कर रहे हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह कदम उन्हें भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी मौद्रिक नीति के संभावित झटकों से बचाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, सोने में निवेश से इन देशों को अपनी वित्तीय संप्रभुता को मजबूत करने का अवसर मिल रहा है, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश में अधिक स्वायत्तता मिल सकेगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस बदलते समीकरण पर दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं की नजरें टिकी हुई हैं।

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