घरों में च़ैत्र नवरात्र की तैयारियां पूरीं, मंदिर बंद होने से छाई मायूसी, कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में होगा
आध्यात्मिक डेस्क, देशज टाइम्स,कौशल कुमार मिश्रा। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए जिले में लागू लॉकडाउन के बीच मंगलवार को घरों में लोग वासंतिक चैत्र नवरात्र की तैयारियों में जुटे रहे। घरों में साफ-सफाई के साथ पूजन सामग्री व फल, मिष्ठान्न, फलाहार जुटाने के साथ लोग नौ दिन तक पाठ बैठाने की तैयारी में लगे हैं।
चैत्र नवरात्र में देवी मंदिरों में बंदी को देख भक्त मायूस दिखे। लेकिन कहा, मां जगदम्बा खुद इस संकट से निजात दिलाएंगी। दरभंगा नीम चौक की अनुपमा झा, कटहलबाड़ी दुर्गामंदिर के आरके जैन, हसनचक लालबाग के फणींद्रनाथ मिश्र ने कहा, चैत्र नवरात्र में इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सभी मंदिर बंद है। ऐसे में घर में ही पूजा पाठ करना होगा।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार से वासंतिक चैत्र नवरात्र शुरू हो रहा है। इसी दिन से भारतीय नवसंवत्सर भी प्रारम्भ होगा। चैत्र नवरात्र में बुधवार को कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त पूर्वांह्न 11:36 से 12:24 बजे तक है। कलश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त्त सुबह 8.40 से 09 बजे के बीच है। ज्योतिष विद पं. विजय कुमार झा ने देशज टाइम्स को बताया, कलश स्थापना प्रात: 6.19 बजे से 07.17 बजे तक भी किया जा सकता है। प्रतिपदा तिथि पूरे दिन है, इसलिए श्रद्धालु अपराह्न 3 बजे तक भी कलश स्थापित कर सकते हैं।
उन्होंने बताया,नौ दिनी नवरात्र में जगदम्बा के गौरी स्वरूपों के पूजन का विधान है। उन्होंने बताया,इस बार जगदम्बा का आगमन नौका और प्रस्थान हाथी पर होगा। मां का नौका पर आना खुशहाली का प्रतीक है। इस बार महाष्टमी एक अप्रैल और रामनवमी दो अप्रैल को है। तीन अप्रैल को दशमी तिथि को है। चैत्र नवरात्र संपूर्ण देश के लिए कल्याणकारी साबित होगा।
उन्होंने बताया,नव संवत्सर 2077 का आरंभ 25 मार्च 2020 को हो रहा है। इस संवत्सर का नाम ‘प्रमादी’ होगा। इस वर्ष का आरंभ बुधवार से हो रहा है, लिहाजा वर्ष के राजा बुध और मंत्री चंद्रमा होंगे। दोनों ग्रह सौम्य हैं, जिसके कारण देश में सुख-शांति, प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। धार्मिक व मांगलिक कृत्य होते रहेंगे। वर्षा अच्छी होगी।
बीते वर्ष के राजा शनि थे, इसलिए संपूर्ण विश्व में कोरोना जैसी महामारी फैली है। लेकिन आने वाला वर्ष अपेक्षाकृत बेहतर होगा। सनातन नववर्ष में मेष संक्रांति से परिस्थितियों में शुभकारी परिवर्तन के योग बन रहे हैं।