Bhagalpur News: साहित्यिक आकाश में जब कोई सितारा अपनी चमक बिखेरता है, तो उसकी रोशनी हर तरफ फैल जाती है। भागलपुर की पावन धरती पर ऐसा ही एक अद्भुत संगम देखने को मिला, जहाँ उर्दू अदब के पुरोधा खुर्शीद अकरम का भव्य सम्मान किया गया। यह सिर्फ एक व्यक्ति का सम्मान नहीं, बल्कि साहित्य और संस्कृति के प्रति शहर की अटूट आस्था का प्रतीक था।
उर्दू अदब के रोशन सितारे खुर्शीद अकरम का भागलपुर समाचार में भव्य सम्मान
Bhagalpur News: बिहार के रेशमी शहर भागलपुर के बरहपुरा स्थित अंजुमन बाग व बहार के बैनर तले एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मशहूर उर्दू अदीब, शायर और पत्रिका ‘आजकल’ के पूर्व संपादक खुर्शीद अकरम का भावपूर्ण अभिनंदन किया गया। यह कार्यक्रम जौहर अयाग की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें साहित्य और कला जगत की कई हस्तियाँ मौजूद रहीं।
अंजुमन बाग व बहार के महासचिव डॉ. मो. परवेज, मो. शादाब आलम, जौहर अयाग, डॉ. हबीब मुर्शीद खाँ, डॉ. नैयर हसन, डॉ. अरशद रजा, मो. मासूम रजा आदिल और मो. आमिर परवेज समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने खुर्शीद अकरम को गुलदस्ता, भागलपुरी चादर और उनकी विशिष्ट उर्दू अदबी सेवाओं के लिए मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
खुर्शीद अकरम का साहित्यिक योगदान और भागलपुर समाचार
महासचिव डॉ. मो. परवेज ने अपने संबोधन में खुर्शीद अकरम के साहित्यिक अवदानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि खुर्शीद अकरम 1980 के दशक के बाद उर्दू साहित्य में एक ऐसे उभरते सितारे हैं, जिनकी रचनाएँ – चाहे वो लेख हों, अफसाने हों या नज़्में – देश की नामवर उर्दू पत्रिकाओं और अखबारों में लगातार प्रकाशित होती रही हैं। वे नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका ‘आजकल’ के कई वर्षों तक संपादक भी रहे हैं, जिससे उनकी साहित्यिक पहचान और मजबूत हुई।
डॉ. परवेज ने आगे कहा कि खुर्शीद अकरम ने अपनी अदबी जिंदगी की शुरुआत अफसाना-निगारी से की थी। उनकी शायरी में मौजूदा दौर के हालात पर तीखा व्यंग्य और गहरा चिंतन मिलता है, जो उन्हें समकालीन शायरों से अलग पहचान दिलाता है। उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखी हैं, जिनमें ‘एक गैर मशरूत माफी नामा’, ‘रात की बात’, ‘पिछली रात के कारने अंदाज-ए-नजर मेरा’ और ‘जदीद हिन्दी शायरी’ प्रमुख हैं। ये कृतियाँ उर्दू साहित्य को उनकी अमूल्य देन हैं।
सम्मान समारोह में गूँजी शायरी की महफिल
इस ऐतिहासिक अवसर पर खुर्शीद अकरम ने अंजुमन बाग व बहार का हार्दिक आभार व्यक्त किया और अपनी कुछ पसंदीदा नज़्में प्रस्तुत कीं, जिन्होंने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी नज़्मों ने माहौल में एक अलग ही रंग घोल दिया। कार्यक्रम के अगले चरण में, रेशमी शहर भागलपुर के नामवर शायरों ने अपनी गजलों से महफिल लूट ली।
शायरों में जौहर अयाग, मजहर मोजाहिदी, डॉ. अरशद रजा और मासूम रजा आदिल शामिल थे। उनकी दिलकश गजलों ने श्रोताओं का दिल जीत लिया और देर तक शायरी की महफिल गुलजार रही। पूरा कार्यक्रम डॉ. अरशद रजा के कुशल संचालन में हुआ, जिन्होंने पूरे समारोह को गरिमामय और सुचारु बनाए रखा। अंत में, मो. शादाब आलम ने सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
यह सम्मान समारोह न केवल खुर्शीद अकरम के साहित्यिक सफर का जश्न था, बल्कि भागलपुर की सांस्कृतिक विरासत और उर्दू अदब को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक था। ऐसे आयोजनों से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती है और साहित्य के प्रति उनकी रुचि बढ़ती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।





