नियति का चक्र कुछ ऐसा चला कि बांग्लादेश की राजनीति के एक अध्याय का अंत हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया अब नहीं रहीं। उनकी सियासी यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही, जिसने दो महिला नेताओं की प्रतिद्वंद्विता की एक पूरी पीढ़ी को आकार दिया। Khaleda Zia Death News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया का मंगलवार को ढाका में निधन हो गया, जिसने भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में शोक की लहर फैला दी।
बांग्लादेश जब राजनीतिक अस्थिरता, कट्टरवाद और हिंसा के दौर से गुजर रहा है और देश में 12 फरवरी को चुनाव होने हैं उस नाजुक घड़ी में 80 साल की खालिदा जिया नहीं रहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी चेयरपर्सन बेगम खालिदा जिया के निधन पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने ढाका में उनके देहांत पर दुख जताया और 2015 में उनसे हुई अपनी मुलाकात को याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद जताई कि उनकी सोच और विरासत भारत-बांग्लादेश संबंधों को आगे भी दिशा दिखाती रहेगी।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “ढाका में पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी चेयरपर्सन बेगम खालिदा जिया के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। उनके परिवार और बांग्लादेश के सभी लोगों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं। ईश्वर उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।”
Khaleda Zia Death News: बांग्लादेश के विकास में योगदान और भारत से रिश्ते
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर, बांग्लादेश के विकास के साथ-साथ भारत-बांग्लादेश संबंधों में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मुझे 2015 में ढाका में उनसे हुई अपनी गर्मजोशी भरी मुलाकात याद है। हमें उम्मीद है कि उनकी सोच और विरासत हमारी साझेदारी को आगे भी राह दिखाती रहेगी। उनकी आत्मा को शांति मिले।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और शेख हसीना की प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी राजनीतिक पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने मंगलवार को इस दुःखद खबर की पुष्टि की। खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच दशकों तक चली प्रतिद्वंद्विता ने एक पीढ़ी तक बांग्लादेशी राजनीति को परिभाषित किया।
जिया पर कई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज थे, जिन्हें वे हमेशा से राजनीतिक रूप से प्रेरित बताती रही थीं। जनवरी 2025 में उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ अंतिम भ्रष्टाचार मामले में उन्हें बरी कर दिया था, जिससे फरवरी में होने वाले चुनाव में उनके उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हो गया था। ब्रिटेन में इलाज कराने के बाद वह मई में स्वदेश लौटी थीं। इससे पहले जनवरी की शुरुआत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति दी थी, जबकि शेख हसीना की सरकार ने इससे पहले कम से कम 18 बार उनके अनुरोधों को खारिज कर दिया था। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां और अंतिम क्षण
पिछले कई दिनों से जिया की तबियत बहुत खराब चल रही थी। देर रात आई खबरों में उनके चिकित्सकों के हवाले से बताया गया था कि जिया की हालत और बिगड़ जाने की वजह से उन्हें राजधानी के एक विशेष निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। निजी समाचार एजेंसी के अनुसार, मेडिकल बोर्ड के सदस्य जियाउल हक ने बताया था, “खालिदा जिया की हालत बेहद गंभीर थी।” इस दौरान उनके बड़े बेटे और बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान सहित परिवार के करीबी सदस्य ढाका के एवरकेयर अस्पताल में उनसे मिलने पहुंच गए थे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
जियाउल हक के अनुसार, जिया को “जीवन रक्षक प्रणाली” पर रखा गया था और उन्हें नियमित रूप से किडनी डायलिसिस की जरूरत थी। उन्होंने यह भी बताया कि डायलिसिस रोकते ही उनकी समस्याएं गंभीर रूप से बढ़ जाती थीं।
खालिदा जिया का विवाह देश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान से हुआ था, जिनकी 1981 में एक सैन्य तख्तापलट के दौरान हत्या कर दी गई थी। इसके बाद जिया ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 1990 में तानाशाही का पतन हुआ। जिया ने 1991 में पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला और 2001 से एक बार फिर इस पद पर रहीं। उन चुनावों में और इसके बाद कई चुनावों में उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना रहीं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




