Darbhanga News: न्याय की आस में एक माँ का धैर्य टूटा, और सिस्टम की सुस्ती ने एक और जान ले ली। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि कई सवालों से भरी एक त्रासदी है, जो एक बार फिर हमारी न्याय प्रणाली पर गहरे सवाल खड़े करती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
तीन महीने पहले लहेरियासराय स्थित निजी स्कूल के छात्रावास में कश्यप कुमार नामक छात्र का शव संदिग्ध परिस्थितियों में पंखे से लटका मिला था। इस हृदय विदारक घटना के बाद से ही कश्यप के परिजनों ने इसे आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या करार देते हुए निष्पक्ष जांच और न्याय की गुहार लगाई थी। उन्होंने लगातार स्थानीय प्रशासन से लेकर आला अधिकारियों तक के दरवाजे खटखटाए, लेकिन उनकी उम्मीदों को संतोषजनक कार्रवाई की रोशनी नहीं मिल सकी। यह निराशा धीरे-धीरे एक गहरे अवसाद में बदलती गई।
इसी निराशा और मानसिक पीड़ा के भंवर में फंसी कश्यप की मां मनीषा देवी ने हाल ही में सल्फास जैसा जहरीला पदार्थ खा लिया। गंभीर हालत में उन्हें तुरंत डीएमसीएच (DMCH) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की हर मुमकिन कोशिश की। हालांकि, तमाम प्रयासों के बावजूद उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई, जिससे परिवार और पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।
Darbhanga: न्याय की आस में एक और मौत
कश्यप की छात्र की संदिग्ध मौत के बाद से परिवार लगातार न्याय की भीख मांग रहा था, लेकिन सिस्टम की सुस्ती ने उनके घावों को और गहरा कर दिया। परिजनों का स्पष्ट आरोप है कि अगर प्रशासन ने समय रहते इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दिया होता और ठोस कार्रवाई की होती, तो शायद मनीषा देवी को यह आत्मघाती कदम उठाने की नौबत नहीं आती। अब इस घटना ने न केवल क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल पैदा किया है, बल्कि पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
मृतिका मनीषा देवी अपने मायके भटियारी सराय में रह रही थीं, और यहीं पर उन्होंने जहर का सेवन किया। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु ने इस पूरे मामले को और भी दर्दनाक बना दिया है।
परिजनों का दर्द और सिस्टम पर सवाल
कश्यप के बहन के बेटे प्रिंस कुमार और मृतक के भाई शिव शंकर कुमार शाह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनके परिवार को आज भी विश्वास नहीं होता कि कश्यप ने आत्महत्या की थी। वे अब भी छात्र की संदिग्ध मौत की पूरी सच्चाई सामने लाने और मनीषा देवी को भी न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस निजी स्कूल में यह घटना हुई थी, उसकी भूमिका की भी गहन जांच होनी चाहिए। यह घटना सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या न्याय पाने के लिए लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी? इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच की मांग अब जोर पकड़ रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।






