Paush Purnima 2026: सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु और चंद्रदेव को समर्पित मानी जाती है, जब पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नए साल की यह पहली पूर्णिमा कब पड़ रही है और इसके क्या धार्मिक अनुष्ठान हैं, इसे लेकर श्रद्धालुओं में जिज्ञासा बनी हुई है।
Paush Purnima 2026: कब है यह पवित्र तिथि?
पुराणों के अनुसार, पौष मास की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रदेव अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अमृत वर्षा करते हैं। इस दिन पवित्र सरोवरों और नदियों में स्नान-दान करने से समस्त पापों का शमन होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। वर्ष 2026 में यह पावन तिथि कब आ रही है, और इसके पीछे क्या शास्त्रीय मान्यताएं हैं, आइए विस्तार से जानते हैं। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।
पौष पूर्णिमा 2026: शुभ मुहूर्त
| तिथि | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | पूर्णिमा तिथि समाप्त | चंद्रोदय का समय (अनुमानित) |
|---|---|---|---|
| 3 जनवरी 2026, शनिवार | 2 जनवरी 2026, शाम 06:17 बजे | 3 जनवरी 2026, रात 09:12 बजे | 3 जनवरी 2026, शाम 05:45 बजे |
पौष पूर्णिमा की पूजन विधि
- पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान-दान करें। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद भगवान मधुसूदन (विष्णु) और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर उनका विधिवत पूजन करें।
- भगवान विष्णु को पीले पुष्प, पीला चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
- पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- चंद्रोदय के समय चंद्रदेव को अर्घ्य दें और ‘ॐ सों सोमाय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- इस दिन अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और कंबल का दान करना विशेष फलदायी होता है।
- ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व और कथा
पौष पूर्णिमा का महत्व धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन तीर्थ स्थलों पर जाकर स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और व्यक्ति को जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस पूर्णिमा के दिन किए गए दान-पुण्य का फल अक्षय होता है, अर्थात उसका कभी क्षय नहीं होता।
पौष पूर्णिमा पर करें ये विशेष उपाय
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
ॐ सों सोमाय नमः।
पौष पूर्णिमा का यह पावन दिन न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का अवसर प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति को भौतिक सुखों और मोक्ष की ओर भी अग्रसर करता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक किए गए अनुष्ठान और दान व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता लाते हैं। चंद्रदेव और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। अतः इस विशेष तिथि का पूर्ण लाभ उठाएं और अपने जीवन को धन्य बनाएं।






