Railway Safety: पटरियों पर दौड़ती ज़िंदगी, हर यात्री का विश्वास और एक सुरक्षित यात्रा का वादा—भारतीय रेलवे हमेशा इन्हीं स्तंभों पर खड़ी रही है। इसी विश्वास को और मज़बूत करने के लिए, समस्तीपुर मंडल ने एक बड़ा कदम उठाया है।
भारतीय रेल में यात्रियों की सुरक्षा हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इसी कड़ी में, रेलवे बोर्ड के कड़े निर्देशों के बाद पूर्व मध्य रेल के समस्तीपुर मंडल ने कोचिंग स्टॉकों की संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक 15 दिवसीय सघन संरक्षा अभियान का आगाज़ किया है। यह अभियान मुख्य रूप से अंडरगियर परीक्षण, ट्रेन पार्टिंग की रोकथाम और कोचों में अग्नि सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य है कि हर यात्रा निर्बाध और सुरक्षित हो। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
इस विशेष अभियान के तहत, एलएचबी, आईसीएफ के साथ-साथ आधुनिक वंदे भारत, अमृत भारत, मेमू और डेमू जैसे सभी प्रकार के कोचों की गहन जांच और निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि छोटी से छोटी कमी को भी दूर किया जा सके। यह सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है कि देश के सबसे बड़े परिवहन तंत्र में ‘यात्री सुरक्षा’ में कोई चूक न हो। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
‘Railway Safety’ अभियान का उद्देश्य: संरक्षा सर्वोपरि
कोचों के नीचे लगे सभी आवश्यक घटकों की विस्तृत जांच की जा रही है। इसमें बोगी, अंडरफ्रेम, फास्टनर्स, पाइप, जॉइंट्स और नमी या गंदगी से प्रभावित क्षेत्रों का मानक प्रक्रियाओं के अनुसार बारीकी से निरीक्षण शामिल है। पिटलाइन या सिकलाइन पर, कोचों की वेल्डिंग क्रैक, जंग के निशान, फास्टनर्स की कसावट, एक्सल बॉक्स, सस्पेंशन सिस्टम, एयर स्प्रिंग, एयर ब्रेक प्रणाली और डब्ल्यूएसपी (WSP) सिस्टम की कार्यक्षमता का विशेष रूप से मूल्यांकन किया जा रहा है। यदि कोई कोच असुरक्षित पाया जाता है, तो उसे तत्काल सेवा से हटा दिया जाएगा।
ट्रेन पार्टिंग की रोकथाम: कपलिंग सिस्टम की बारीकी से जांच
ट्रेन पार्टिंग, एक गंभीर घटना है जिसे रोकने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पारंपरिक कोचों में स्क्रू कपलिंग की कसावट और थ्रेड्स की स्थिति जांची जा रही है। एलएचबी कोचों में सीबीसी (CBC) कपलर की उचित लॉकिंग, स्टिफनर प्लेट्स और माउंटिंग बोल्ट्स की स्थिति का आकलन किया जा रहा है। अमृत भारत और वंदे भारत जैसी अत्याधुनिक ट्रेनों में सेमी-ऑटोमैटिक/सेमी-परमानेंट कपलर की सही सेटिंग, टॉर्क मार्किंग और डीटीसी (डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एंड कम्युनिकेशंस) के दोनों सिरों पर सीबीसी की जांच सुनिश्चित की जा रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कोचों में अग्नि सुरक्षा: आग से बचाव के पुख्ता इंतज़ाम
आग से सुरक्षा इस अभियान का एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है। पैंट्री कार और पावर कार में फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम (FDSS) तथा अन्य कोचों में फायर एवं स्मोक डिटेक्शन सिस्टम (FSDS) की कार्यशीलता सुनिश्चित की जा रही है। बैटरियों की स्थिति, अग्निशामक यंत्रों की उपलब्धता एवं उनकी जांच, वेंट्स और जंक्शन बॉक्स की सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है। ज्वलनशील या विस्फोटक पदार्थों के अनाधिकृत परिवहन को रोकने के लिए आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) और वाणिज्य विभाग के साथ संयुक्त जांच भी की जा रही है। यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
अधिकारी स्तर पर निरीक्षण: गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित
इस अभियान के दौरान, उच्चाधिकारी स्तर पर भी विशेष निरीक्षण किए जा रहे हैं। मंडल और मुख्यालय स्तर के वरिष्ठ अधिकारी विभिन्न प्रकार के मेल/एक्सप्रेस, वंदे भारत, अमृत भारत, मेमू और डेमू रेकों का स्वयं निरीक्षण कर रहे हैं। इसका उद्देश्य किसी भी संरक्षा संबंधी कमी की पहचान करना और उसे तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के माध्यम से दूर करना है, जिससे ‘यात्री सुरक्षा’ में कोई समझौता न हो।
समस्तीपुर मंडल के मंडल रेल प्रबंधक श्री ज्योति प्रकाश मिश्रा ने इस पहल पर टिप्पणी करते हुए कहा, “यात्रियों की संरक्षा भारतीय रेल की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 15 दिवसीय इस सघन संरक्षा अभियान के माध्यम से कोचिंग स्टॉकों की सूक्ष्म जांच कर संभावित जोखिमों की पहचान एवं उनका त्वरित निराकरण किया जा रहा है। इससे ट्रेन परिचालन और अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय तथा Railway Safety मानकों के अनुरूप सुनिश्चित होगा।”
समस्तीपुर मंडल इस बात को लेकर कटिबद्ध है कि इस सघन संरक्षा अभियान के माध्यम से ट्रेनों का परिचालन अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और यात्रियों के लिए निश्चिंत बनाने वाला हो। यह भारतीय रेलवे की सेवा भावना का प्रतीक है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।






