West Bengal Voter List: चुनावी रणभेरी से पहले, भारतीय निर्वाचन आयोग ने अपनी चुनावी शतरंज की बिसात पर एक महत्वपूर्ण चाल चली है, जिससे लाखों मतदाताओं की किस्मत तय होगी। यह सिर्फ नामों को जोड़ने या हटाने का काम नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने का एक अहम अध्याय है।
West Bengal Voter List: 85 पार, दिव्यांग और गर्भवती महिलाएं मतदाता सूची सुनवाई से मुक्त, ECI का बड़ा फैसला
पश्चिम बंगाल मतदाता सूची संशोधन: ECI के नए दिशा-निर्देश
भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने पश्चिम बंगाल में चल रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर एक अहम निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के तहत, जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) के रूप में कार्यरत जिला मजिस्ट्रेटों (DM) को ऐसे मतदाताओं को सुनवाई के लिए नोटिस जारी न करने का आदेश दिया गया है, जिन्हें ‘अमान्य’ के रूप में चिन्हित किया गया है। आयोग ने 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के मतदाताओं, दिव्यांगजनों (PwD) और गर्भवती महिलाओं को सुनवाई केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट प्रदान की है। यह निर्णय पारदर्शिता और सुविधा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (WBCEO) मनोज अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति, दिव्यांगजन और किसी भी आयु की गर्भवती महिलाएं, जिन्हें आयोग द्वारा नोटिस जारी किया गया है, उन्हें सुनवाई के लिए आने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) उनके घर जाकर उनसे संपर्क करेंगे और मतदाता सूची में उनका नाम शामिल करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन करेंगे। यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए विशेष रूप से सहायक होगी, जिन्हें आने-जाने में कठिनाई होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
पुरानी सूची में नाम न मिलने पर क्या?
बंगाल में 2002 में हुए पिछले मतदाता सूची सर्वेक्षण (SIR) के दौरान, 32 लाख से अधिक मतदाताओं को अपनी या अपने माता-पिता/दादा-दादी की मतदाता सूची में नाम नहीं मिला था। ऐसे लोगों को 27 दिसंबर से शुरू हुई सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने केवल उन मतदाताओं की सुनवाई स्थगित की है जिनका नाम उसके केंद्रीय सॉफ्टवेयर सिस्टम में नहीं मिला था, लेकिन जो 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी में दर्ज थे। यह स्थगन उन ‘अज्ञात’ मामलों पर लागू नहीं होता है जिन्हें जमीनी सत्यापन के बाद मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ERO) द्वारा चिन्हित किया गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, यद्यपि ऐसे मामलों के लिए केंद्रीय सॉफ्टवेयर प्रणाली से सुनवाई नोटिस जारी किए गए होंगे, लेकिन इन मतदाताओं को सुनवाई के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए। इन नोटिसों को ERO/सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (AERO) द्वारा सुरक्षित रखा जाना चाहिए। अधिकारियों ने बताया कि जब चुनाव अधिकारियों ने 2002 की मतदाता सूची की हार्ड कॉपी की जांच की, तो उन्होंने पाया कि चुनाव आयोग के सॉफ्टवेयर में ‘अमान्य’ के रूप में चिह्नित मतदाता या उनके बच्चे वास्तव में पुरानी सूची में उपस्थित थे। यह अनियमितता मतदाता सूची अद्यतन प्रक्रिया में सामने आई है।
सुनवाई स्थलों पर राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट 2 (BLA-2) को सुनवाई स्थलों के भीतर प्रवेश की अनुमति न देने का भी निर्णय लिया है। यह निर्णय तब लिया गया जब तृणमूल कांग्रेस विधायक असित मजूमदार ने कथित तौर पर हुगली जिले के अपने चिनसुराह निर्वाचन क्षेत्र में BLA-2 के प्रवेश की मांग को लेकर सुनवाई बाधित की थी। बताया जाता है कि इस मुद्दे पर उनकी ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO) से झड़प भी हुई थी। इस तरह के हस्तक्षेप से चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है, और आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
निर्वाचन आयोग का सख्त रवैया
ECI का यह सख्त रवैया सुनिश्चित करता है कि मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया किसी भी तरह के दबाव या अनुचित प्रभाव से मुक्त रहे। यह फैसला चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। मतदाता सूची अद्यतन का कार्य सुचारु रूप से चलता रहे, इसके लिए आयोग लगातार प्रयास कर रहा है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




