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दिसम्बर, 30, 2025

मैथिली अकादमी आकाश से टपका, खजूर पर अटका, अस्तित्व खतरे में, अब Darbhanga विद्यापति सेवा संस्थान का बिगुल, क्या खुलेगा ताला!

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मैथिली अकादमी: दरभंगा देशज टाइम्स। आकाश से टपका, खजूर पर अटका, कुछ ऐसी ही हालत हो गई है बिहार की संवैधानिक भाषा मैथिली को समर्पित मैथिली अकादमी की। एक समय था जब यह अकादमी मिथिला की सांस्कृतिक और साहित्यिक पहचान थी, पर आज खुद अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है।

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मैथिली अकादमी का अस्तित्व खतरे में: स्वायत्तता की मांग को लेकर विद्यापति सेवा संस्थान का बिगुल

मैथिली अकादमी: बिहार प्रदेश की एकमात्र संवैधानिक भाषा मैथिली के संरक्षण और संवर्धन के लिए गठित मैथिली अकादमी के स्वतंत्र और स्वायत्त अस्तित्व में पूर्ववत क्रियान्वयन की मांग को लेकर विद्यापति सेवा संस्थान के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को दरभंगा नगर विधायक सह बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय सरावगी से उनके आवास पर भेंट कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। संस्थान के अध्यक्ष सह पूर्व कुलपति, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. शशिनाथ झा के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपने गए प्रतिनिधिमंडल में कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बुचरू पासवान, महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू, सलाहकार समिति के अध्यक्ष सह मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं. कमला कांत झा, प्रो. अयोध्या नाथ झा, मणिकांत झा, डॉ. महानंद ठाकुर, विनोद कुमार झा, प्रो. प्रकाश चंद्र मिश्र, डॉ. महेंद्र नारायण राम और प्रो. चंद्रशेखर झा ‘बूढ़ा भाई’ जैसे गणमान्य लोग शामिल थे।

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मैथिली अकादमी: एक गौरवशाली अतीत और वर्तमान की चुनौतियां

संस्थान द्वारा संजय सरावगी को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि बिहार में मैथिली भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति को संरक्षण–संवर्द्धन देने के उद्देश्य से वर्ष 1976 में एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था के रूप में मैथिली अकादमी की स्थापना की गई थी। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के साथ-साथ पत्र–पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन सहित अनेक महत्वपूर्ण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यों को अंजाम देना था। दुर्भाग्यवश, आज यह अकादमी प्रशासनिक उदासीनता और कर्मचारियों के भारी अभाव के कारण बंद पड़ी है और इसके भवन में ताला लटका होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक स्थिति है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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ज्ञापन में इस बात की ओर विशेष रूप से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का ध्यान आकृष्ट किया गया कि मैथिली अकादमी अपने स्थापना काल से ही ना केवल बिहार, बल्कि संपूर्ण देश भर में मैथिली भाषा के शोध, प्रकाशन और साहित्यिक गतिविधि का एक प्रमुख केंद्र रही है। अकादमी द्वारा अब तक करीब 213 महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है, जिनमें से करीब नौ कृतियाँ साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित हैं। अकादमी से प्रकाशित पुस्तकें बिहार सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में सम्मिलित होने के साथ ही यूपीएससी और बीपीएससी सहित अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

ऐसी स्थिति में अकादमी के कर्मचारियों को अन्य संस्थानों में प्रतिनियुक्त किया जाना और स्थायी नियुक्ति के अभाव में अकादमी को बंद करने का बहाना खड़ा करना संपूर्ण मिथिला समाज और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल जनक, याज्ञवल्क्य, गौतम, कनाद, अष्टावक्र, मंडन, अयाची, जानकी, गार्गी, भारती, मैत्रेयी जैसे अद्वितीय विद्वान और विदुषी की मातृभाषा मैथिली के लिए अपमानजनक है। शासन-प्रशासन के स्तर पर उठाए जा रहे इस कदम से करोड़ों शोधार्थी, विद्यार्थी और साहित्यकारों को भारी क्षति का सामना करना पड़ रहा है और मैथिली भाषा के भविष्य पर गंभीर संकट उत्पन्न होते दिखाई दे रहे हैं।

ज्ञापन में सभी कोटि के करोड़ों मिथिलावासी और प्रवासी मैथिली भाषी की ओर से निवेदन किया गया है कि मैथिली भाषा-साहित्य के शोधार्थी, विद्यार्थी और साहित्यकारों को भारी क्षति से बचाने के लिए बिहार प्रदेश की एकमात्र संवैधानिक भाषा मैथिली के संरक्षण और संवर्धन के लिए गठित मैथिली अकादमी को स्वतंत्र एवं स्वायत्त संस्था के अस्तित्व में पूर्ववत क्रियान्वयन सहित अकादमी के समुचित संचालन के लिए स्वीकृत पद पर अध्यक्ष, अन्य पदाधिकारी और कर्मचारियों की अविलंब नियुक्ति के लिए संजीवनी आदेश निर्गत करने की दिशा में आवश्यक पहल किया जाए।

सरावगी का सकारात्मक आश्वासन और आगामी आंदोलन की रणनीति

संजय सरावगी को उनके आवास पर ज्ञापन सौंपने के बाद प्रो. शशिनाथ झा ने बताया कि संस्थान की ओर से समर्पित ज्ञापन पर सकारात्मक आश्वासन देते हुए संजय सरावगी ने कहा कि मिथिला और मैथिली का विकास एनडीए सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है। वे इस संबंध में शीघ्र ही पार्टी फोरम सहित मुख्यमंत्री से बात करेंगे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। प्रो. शशिनाथ झा ने यह भी बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित डॉ. सी. पी. ठाकुर (पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार), संजय कुमार झा (राज्यसभा सांसद सह कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू) सहित मिथिला क्षेत्र के सभी सांसदों, विधायकों एवं विधान परिषद सदस्यों को भी ई-मेल से यह ज्ञापन भेजा जा चुका है। साथ ही संस्थान ने सर्वसम्मति से इसके लिए क्रमबद्ध आंदोलन और जन संपर्क कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है। इसका आरंभ 03 जनवरी को दरभंगा आयुक्त कार्यालय पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन से होगा। जबकि 04 जनवरी को डॉ. सी. पी. ठाकुर सहित मिथिला क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री से भेंट करने की योजना बनी है। यह सुनिश्चित करेगा कि मैथिली के हक की लड़ाई हर स्तर पर जारी रहे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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