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दिसम्बर, 31, 2025

साइबर क्राइम: मोदी सरकार का डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और अपराधों के खिलाफ निर्णायक प्रहार

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Cyber Crime: इंटरनेट की दुनिया, जहां सूचनाओं की बाढ़ है, वहीं इसका काला पक्ष भी गहराता जा रहा है। अश्लीलता, भ्रामक सूचनाएं और साइबर अपराध जैसी चुनौतियां डिजिटल स्पेस को दूषित कर रही हैं। इन गंभीर खतरों से निपटने के लिए भारत सरकार ने अब कमर कस ली है, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर सख्त जवाबदेही लागू करते हुए एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है।

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साइबर क्राइम: मोदी सरकार का डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता और अपराधों के खिलाफ निर्णायक प्रहार

भारत सरकार ने आईटी अधिनियम, आईटी नियम 2021 और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 के प्रावधानों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया और ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता, भ्रामक सूचना और विभिन्न साइबर अपराधों के लिए कड़े जवाबदेही के नियम लागू किए हैं। यह कदम एक सुरक्षित और जिम्मेदार ऑनलाइन वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। सरकार का उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाना है।

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साइबर क्राइम और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही

इन नए नियमों के तहत, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अब आपत्तिजनक सामग्री को हटाने और यूजर्स की शिकायतों का त्वरित समाधान करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी। यह डिजिटल नीति केवल सामग्री पर नियंत्रण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य ऑनलाइन स्पेस में गलत सूचना के प्रसार और अन्य दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों पर अंकुश लगाना भी है। इस प्रकार की पहल ऑनलाइन सुरक्षा को मजबूत करती है और उपभोक्ताओं को एक सुरक्षित डिजिटल अनुभव प्रदान करती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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सरकार की यह सख्ती विशेष रूप से ऐसी सामग्री पर केंद्रित है जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है या समाज में गलत धारणाएं फैला सकती है। नियमों के अनुसार, प्लेटफॉर्म्स को ऐसी सामग्री की पहचान करने और उसे हटाने के लिए मजबूत तंत्र स्थापित करने होंगे। इसमें एल्गोरिथम-आधारित पहचान के साथ-साथ मानव समीक्षा प्रक्रियाएं भी शामिल हैं ताकि सटीक और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

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नियमों का स्पष्टीकरण और अनुपालन

आईटी अधिनियम के तहत निर्धारित ये नियम प्लेटफॉर्म्स को अपनी सेवाओं का उपयोग करने वाले सभी यूजर्स के लिए एक स्पष्ट और पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का आदेश देते हैं। इसका मतलब है कि यदि कोई यूजर किसी आपत्तिजनक सामग्री या गतिविधि की रिपोर्ट करता है, तो प्लेटफॉर्म्स को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर उस पर कार्रवाई करनी होगी। यह अनुपालन न केवल कानूनी आवश्यकता है बल्कि यह यूजर्स के विश्वास और प्लेटफॉर्म्स की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

सरकार का यह ‘डिजिटल सफाई अभियान’ स्पष्ट संदेश देता है कि ऑनलाइन स्पेस में स्वतंत्रता का मतलब अराजकता नहीं है। सभी डिजिटल खिलाड़ियों को अब अधिक जिम्मेदारी से व्यवहार करना होगा और कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा। इन प्रयासों से भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बन पाएगा, जहां इनोवेशन तो होगा लेकिन कानून का उल्लंघन नहीं। यह सुनिश्चित करना सभी प्लेटफॉर्म्स की साझा जिम्मेदारी है कि वे इन दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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