Paush Purnima 2026: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और जब यह पौष मास में आती है, तो इसका आध्यात्मिक प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यह पवित्र दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, जिसमें गंगा स्नान और दान-पुण्य का विधान है।
पौष पूर्णिमा 2026: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम, भूलकर भी न करें ये गलतियां
पौष पूर्णिमा 2026 पर क्या करें और क्या न करें
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और जब यह पौष मास में आती है, तो इसका आध्यात्मिक प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यह पवित्र दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, जिसमें गंगा स्नान और दान-पुण्य का विधान है। इस दिन की गई छोटी सी भूल भी मां लक्ष्मी को नाराज कर सकती है, इसलिए हर भक्त को इस दिन के नियमों का पालन अत्यंत सावधानी से करना चाहिए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस पुण्यदायी तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने और यथाशक्ति दान करने से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश होता है। इस दिन का विशेष लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: धर्म, व्रत और त्योहारों की संपूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
शुभ तिथि और मुहूर्त
| विवरण | समय |
|---|---|
| पौष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 12 जनवरी 2026, रात्रि 10:14 बजे |
| पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त | 13 जनवरी 2026, रात्रि 08:35 बजे |
| व्रत और स्नान का मुख्य दिन | 13 जनवरी 2026, मंगलवार |
पौष पूर्णिमा पर पूजा विधि
- पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
- सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें और खीर का भोग लगाएं।
- गरीबों और जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान करें।
पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा का दिन चंद्र देव और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का अनुपम अवसर प्रदान करता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है, जिसकी पूजा करने से मानसिक शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना होकर मिलता है। विशेष रूप से तीर्थ स्नान और अन्न दान का महत्व शास्त्रों में वर्णित है।
पौष पूर्णिमा के दिन क्या करें?
- पवित्र नदियों में स्नान, विशेषकर गंगा स्नान करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
- सत्यनारायण कथा का पाठ करें।
- तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र और अन्न का दान करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य दें और खीर का भोग लगाएं।
- गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
पौष पूर्णिमा के दिन क्या न करें?
- इस दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा) का सेवन बिल्कुल न करें।
- किसी का अपमान न करें और न ही किसी को अपशब्द बोलें।
- घर में क्लेश और नकारात्मक वातावरण न बनाएं।
- सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधे को न छुएं।
- बाल या नाखून न काटें।
- किसी भी प्रकार के व्यसन से दूर रहें।
- धन का अपव्यय न करें और न ही किसी से उधार लें या दें।
पौष पूर्णिमा के मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः॥
निष्कर्ष और उपाय
इस प्रकार, पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर नियमों का पालन करते हुए सच्ची श्रद्धा से किए गए पूजन से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जबकि चंद्र देव मानसिक शांति और आरोग्य देते हैं। इस दिन किए गए ये छोटे-छोटे उपाय जीवन में सकारात्मकता लाते हैं और समस्त दुखों का निवारण करते हैं।





