Steel Industry: चीन की स्टील डंपिंग और वैश्विक टैरिफ युद्ध के चुनौतीपूर्ण माहौल में, भारत सरकार ने घरेलू स्टील उद्योग को एक बड़ी राहत प्रदान की है। यह कदम न केवल भारतीय निर्माताओं को सस्ते आयात से बचाएगा, बल्कि उनके वित्तीय स्वास्थ्य और बाजार स्थिति को भी मजबूत करेगा।
भारत का ‘आत्मनिर्भर’ कदम: Steel Industry को आयात शुल्क से मिला नया जीवन
Steel Industry को मिली सुरक्षा, शेयर बाजार में उछाल
भारत सरकार ने कुछ चुनिंदा स्टील उत्पादों के आयात पर 11-12% की सुरक्षात्मक शुल्क (safeguard duty) लगाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह शुल्क चरणबद्ध तरीके से लागू होगा: पहले वर्ष 12%, दूसरे वर्ष 11.5%, और तीसरे वर्ष 11%। इस घोषणा का तत्काल प्रभाव शेयर बाजार में देखने को मिला, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। जहां टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील और जिंदल स्टेनलेस जैसे प्रमुख स्टील शेयरों में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई। यह नीतिगत बदलाव सस्ते चीनी स्टील से भारतीय निर्माताओं को बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और उन्हें एक समान अवसर मिल सकेगा।
यह कदम Domestic Steel खिलाड़ियों की मूल्य निर्धारण शक्ति (pricing power) को बढ़ावा देगा, जिससे उनके मार्जिन मजबूत होंगे और दीर्घकालिक लाभप्रदता में सुधार की उम्मीद है। भारतीय इस्पात मंत्रालय लंबे समय से इस तरह के सुरक्षात्मक उपायों की वकालत कर रहा था ताकि देश के भीतर उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके और रोजगार के अवसर बढ़ें। रियल-टाइम बिजनेस – टेक्नोलॉजी खबरों के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/business/
आयात शुल्क का आर्थिक प्रभाव
इस सुरक्षात्मक शुल्क से Domestic Steel कंपनियों को न केवल विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें अपनी उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में निवेश करने के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा। वैश्विक बाजार में अस्थिरता के बावजूद, भारत सरकार का यह फैसला घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। विश्लेषकों का मानना है कि इससे भारतीय स्टील कंपनियों की बैलेंस शीट में सुधार आएगा और वे वैश्विक स्तर पर और अधिक मजबूती से अपनी पहचान बना पाएंगी।




