Bihar Drug Addiction: दोस्ती की एक चिंगारी ने सोलह साल के किशोर के जीवन को ऐसे जलाया कि धुआं आठ महीने तक नहीं थमा। जब तक परिवार उसे ढूंढ पाता, तब तक वह नशे के गहरे दलदल में फंस चुका था।
Bihar Drug Addiction: ऑर्केस्ट्रा की दोस्ती, स्मैक का दलदल और 8 महीने बाद घर लौटा बेसुध बेटा
Bihar Drug Addiction: यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि बिहार में गहराती एक बड़ी सामाजिक समस्या की ओर इशारा करती है। एक 16 वर्षीय किशोर की जिंदगी ऑर्केस्ट्रा में हुई दोस्ती के कारण तबाह हो गई। स्मैक की लत ने उसे इस कदर जकड़ा कि वह आठ महीने तक अपने घर से लापता रहा। जब वह अंततः बिहार शरीफ में मिला, तो उसकी हालत बेहद दयनीय थी – शरीर पर चोटों के निशान और नशे की गिरफ्त में बेसुध। मां-बाप के लिए यह क्षण किसी वज्रपात से कम नहीं था।
Bihar Drug Addiction: कैसे दोस्ती बनी नशे का जाल?
शेखपुरा जिले के एक साधारण परिवार का यह किशोर अपने दोस्तों के साथ ऑर्केस्ट्रा देखने गया था। यहीं उसकी दोस्ती कुछ ऑर्केस्ट्रा कलाकारों से हुई, जो धीरे-धीरे उसे स्मैक के दलदल की ओर धकेलती चली गई। पहले छोटी-मोटी लत, फिर यह कब एक गंभीर व्यसन में बदल गया, उसे खुद भी पता नहीं चला। परिवार ने जब उसके व्यवहार में बदलाव देखा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। किशोर धीरे-धीरे घर से दूर होता चला गया और अंततः एक दिन अचानक गायब हो गया। इस दुखद घटना पर आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
आठ महीने तक परिवार ने बेटे की तलाश में दर-दर की ठोकरें खाईं। हर संभावित जगह खोजबीन की, पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। हर बीतते दिन के साथ माता-पिता की उम्मीदें कम होती जा रही थीं। उन्हें नहीं पता था कि उनका बेटा किस हाल में है और कहां है। यह समय उनके लिए बेहद मानसिक यंत्रणा और बेचैनी भरा था।
अंततः, आठ महीने के लंबे इंतजार और अथक प्रयास के बाद, परिवार को अपने बेटे के बिहार शरीफ में होने की सूचना मिली। जब वे वहां पहुंचे, तो अपने कलेजे के टुकड़े को देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। बेटे का शरीर कमजोर हो चुका था, उस पर कई जगह चोटों के निशान थे और वह स्मैक के गहरे नशे में चूर था। उसकी हालत देखकर परिवार सदमे में आ गया। परिवार को अब सबसे बड़ी चिंता उसके नशीले पदार्थों का सेवन छुड़ाने की है और उसे इस दलदल से बाहर निकालने की है।
माता-पिता के लिए यह क्षण खुशी और दर्द का एक अजीब मिश्रण था। बेटा मिल गया था, लेकिन जिस हाल में वह मिला, उसने उनकी सारी खुशियां छीन लीं। अब उनके सामने अपने बेटे को इस जानलेवा लत से उबारने की एक बड़ी चुनौती है। डॉक्टरों और नशा मुक्ति केंद्रों से संपर्क साधा जा रहा है ताकि किशोर को एक नया जीवन मिल सके। इस गंभीर खबर को आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
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समाज और परिवार के सामने चुनौती
यह घटना केवल एक परिवार की निजी त्रासदी नहीं, बल्कि बिहार में बढ़ते नशीले पदार्थों के चलन और युवाओं में इसके बढ़ते प्रभाव का एक कड़वा सच है। ऐसे मामलों में अक्सर किशोर छोटे लालच या गलत संगत में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देने, उनकी संगत पर नजर रखने और उन्हें सही-गलत का फर्क समझाने की आवश्यकता है।
सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं को भी नशा मुक्ति अभियानों को और मजबूत करना होगा। शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए ताकि युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थों का सेवन के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके। ऐसे में युवाओं को नशीले पदार्थों का सेवन से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, जिससे समाज को इस गंभीर बुराई से मुक्ति मिल सके। इन मुद्दों पर विस्तृत विश्लेषण आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




