कोरोना काल में बिहार के ‘लाल’ का कमाल, बना डाला … AC वाला PPE KIT, और फिर, पढ़िए पूरी रिपोर्ट
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पटना। कोरोना काल में पता नहीं कितनों ने इस महामारी के दौरान कई ऐसी कहानियां सुनी होंगा और देखीं भी हैं जिससे प्रेरणा लेकर कुछ न कुछ उपयोगी वस्तु बनाकर कमाल कर दिया। इसी क्रम में बिहार के एक युवक ने एसी वाला पीपीई किट बना डाला।
इसके बनाने का मकशद डाॅक्टरों और फ्रंडलाइनर वर्कर की किसी भी वायरस और संक्रमण से बचाव और सुरक्षा है। चूंकि पीपीई किट पहनकर चिकित्सा से जुड़े लोगों को खासकर जिन्हें यह पहनकर काम करना अनिवार्य होता है उन्हें काफी मुश्किल होती है। खास कर गर्मी के समय है यह परेशानी और भी ज्यादा होती है लेकिन इस पीपीई किट को पहनकर फंडलाइन वर्कर और चिकित्सक को ठंडक महसूस होगी और वह सभी आराम से अपना काम कर पायेंगे।
यह पीपीई किट फूल बाॅडी कवर के डिजाइन में तैयार किया गया है जो सुरक्षा की नजर से भी फरफेक्ट है जिसमें संक्रमण से बचने के लिए सेनिटाइजेशन की भी व्यवस्था है। इसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
अवधेष कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री के अनुसार इस पीपीई किट को तीन भाग में बनाया गया है जिसमें नीचे एवं बीच के हिस्से को प्लास्टिक से बनाया गया है जबकि सबसे ऊपर का भाग थर्मोकोल एवं सूती वस्त्र से बनाया गया है।
इसमें सबसे आगे ट्रांसपेरेंट सीट लगायी गयी है ताकि आगे की वस्तु को साफ देखा जा सके और बाहरी दूषित हवा अंदर प्रवेश न कर सके। थर्मोकोल पर भाग में एक बड़ा होल किया गया है जिसमें विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लगाया गया हैं। जैसे- एयर ब्लोअर फैन एटेंप्रेचर सेंसर जोकि अंदर के तापमान के अनुसार बदलता है। ऑटोमैटिक सेंसर स्विच जो हेड कवर को पहनते है एसी को चालू कर देता है।
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अंदर एक सैनिटाइजर पाइप एवं नोजल लगाया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर पीपीई किट के अंदर वाले हिस्सो को सैनेटाइज किया जा सके। सभी यंत्र को ग्लू, एवं स्क्रू की सहायता से असेंबल किया गया है। इस सभी यंत्रों को चलाने के लिए एक रिचार्जेबल बैटरी को लगाया गया है जो किसी भी मोबाइल चार्जर से चार्ज हो जाता है।
एक बार चार्ज हो जाने पर 12 घंटे तक लगातार काम करता है और ठंडी हवा को अंदर प्रवेश करने से पहले फिल्टर मास्क लगाया गया है जो वायरस एवं बैक्टीरिया को अंदर आने से रोकने में मदद करता है।
वेलक्रो टेप जिसके सहयोग से तीनों पार्ट को अलग अलग पहन कर एक साथ जोड़कर सील किया जाता है ताकि बाहरी प्रदूषित हवा अंदर ना आ सके। पीपीई किट के अंदर व्यक्ति के कार्बन डाईऑक्सइड एवं दूषित हवा को बाहर निकालने के लिए चार रीलिज सेफ़्टी वाल्व लगाया गया है।
सूचक के रूप में बाहर एक एलइडी लाइट लगाया गया है जो ये इंडीकेट करता है कि अंदर सभी यंत्र सुचारू ढंग से कार्य कर रहे हैं।
अखबार में छपे लेख से मिली प्रेरणा
अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री को यह प्रेरणा एक अखबार में छपे सूरत शहर के एक लैब टेक्नीशियन की दर्द भरी कहानी से मिली। जिसमें उसने बताया था कि कोरोना से डरिये मत, लड़िये।
कोरोना की जांच कराइये। मैं पांच साल से रीढ़ के कैंसर से लड़ रहा हूं लेकिन पीपीई किट पहनकर सबके ब्लड का सैंपल लेता हूं और अपने बीमारी की चिंता न कर लगातार अपनी डयूटी कर रहा हूं।
उसने कोरोना काल में भी अपने द्वारा काम करने पर गर्व महसूस होने की बात बतायी है। उसने कहा है कि पीपीई सूट पहनने के बाद एक मरीज के रूप में लम्बे समय तक काम करने में परेशानी होती है।
क्योंकि सूट की डिजाइन ही ऐसी है कि कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक इसमें नहीं रह सकता है। वे कहते हैं समान लोगों के मुकाबले कैंसर रोगी की रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होती है। इसीलिए कैंसर विषेशज्ञ वायरल इन्फेक्शन से बचाव की बात कहते हैं।
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इस कहानी को पढ़ने के बाद जुम्मन मिस्त्री ने पटना के वरीय डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी एवं नवादा के स्थानीय चिकिस्तक उमेश प्रसाद तथा अनिल सिंह से इस संबंध में बात की तो पता चला कि पीपीई किट को पहनने के बाद शरीर में बहुत गर्मी और बेचैनी लगती है। बहुत से लोगों को संक्रमण हो जाता हैं।
गंभीर बीमारी से ग्रस्ति लोगो को इसे पहनकर काम करने में काफी परेशानी होता है। इन सब को सुनने के बाद जुम्मन मिस्री ने सोचा कि क्यों नहीं पीपीई किट को मॉडिफाई कर के नया स्वरूप दिया जाए जिसे पहनकर स्वास्थ्यकर्मी एवं फ्रंटलाइन वर्कर को सुरक्षा एवं आराम महसूस हो क्योंकि कोरोना काल में उनका काम करना भी जरूरी है सिर्फ वहीं है जो कितनों की जिंदगी बचा रहे हैं।
अगर इसमें उनका थोड़ी भी मदद कर सके तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी।During the corona period bihar’s son did wonders, made AC PPE kit
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