मुंबई। सौ करोड़ रुपये की रंगदारी वसूली मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर में उपस्थित नहीं हुए। एक दिन पहले ईडी ने देशमुख के मुंबई और नागपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी के बाद उनको समन जारी कर शनिवार को दफ्तर में उपस्थित होने के लिए कहा था।
देशमुख के वकील ने पत्र के जरिए ईडी से जानना चाहा है कि उनके मुवक्किल देशमुख को किन दस्तावेजों के आधार पर पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। इसी बीच खबर है कि ईडी ने रंगदारी वसूली मामले में पूर्व गृहमंत्री देशमुख के दोनों निजी सचिवों- कुंदन शिंदे और संजीव पालांडे को गिरफ्तार किया है। ईडी टीम इन दोनों को विशेष कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही है।
देशमुख के वकील जयवंत पाटिल ने बताया कि ईडी ने जो समन जारी किया है, उसमें किस मामले पर पूछताछ करनी है, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से देशमुख आज ईडी दफ्तर में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। ईडी को स्पष्ट करना चाहिए कि किस मामले में और किस दस्तावेज के आधार पर उनसे पूछताछ की जानी है।
ईडी ने 100 करोड़ रुपये की रंगदारी वसूली मामले में शुक्रवार को मुंबई एवं नागपुर स्थित देशमुख के 5 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की थी। इस दौरान ईडी ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल सबूत बरामद किया है। इसके बाद देशमुख के दोनों निजी सचिवों- कुंदन शिंदे और संजीव पालांडे को ईडी दफ्तर बुलाकर लंबी पूछताछ की थी।
इसके बाद इन दोनों को ईडी ने शुक्रवार देर रात को गिरफ्तार कर लिया था। ईडी ने समन जारी कर देशमुख को शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजे ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए उपस्थित रहने के लिए कहा था लेकिन देशमुख ईडी दफ्तर नहीं गए।
उल्लेखनीय है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये रंगदारी वसूली का आरोप लगाया था। इसके बाद वकील जयश्री पाटिल ने इस मामले की जांच की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसी याचिका पर हाई कोर्ट के जांच के आदेश के बाद मनी लॉड्रिंग ऐंगल से ईडी देशमुख से पूछताछ कर रही है। मामले में ईडी ने पुलिस उपायुक्त राजू भुजबल, अनिल देशमुख के दो निजी सचिव और 10 होटल व्यवसाइयों का भी बयान रिकॉर्ड किया है। ईडी ने एंटीलिया प्रकरण और व्यापारी मनसुख हिरेन मौत मामले में गिरफ्तार पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाझे का भी बयान रिकॉर्ड किया है।
देशमुख ने पत्रकारों को बताया कि एंटीलिया प्रकरण और मनसुख की हत्या के बाद मुंबई पुलिस आयुक्तालय में चल रही गड़बड़ी उनके ध्यान में आई थी। इसी वजह से उन्होंने परमबीर का तबादला कर दिया था। इसके बाद परमबीर सिंह ने उनपर आरोप लगाया है। अगर परमबीर सिंह को यह सब पता था तो उन्होंने इसकी जांच खुद बतौर पुलिस आयुक्त क्यों नहीं की थी।
परमबीर सिंह के 5 मातहत पुलिसकर्मी जो कि सिर्फ उन्हें ही रिपोर्टिंग करते थे, उन सभी को एनआईए ने गिरफ्तार किया है। मुंबई पुलिस की इनोवा गाड़ी भी एनआईए ने बरामद की है। देशमुख ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोपों की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं। बहुत जल्द दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इस मामले में भी सत्य की ही जीत होगी।