मई,3,2024
spot_img

”हम तो अपने पिया जी के रूप में देखिला श्रीराम के…” से गूंज उठी मिथिला की गलियां

spot_img
spot_img
spot_img

बेगूसराय। पग-पग पोखर मांछ (मछली)- मखान सरस रही जिसकी मुस्कान विद्या वैभव शांत प्रतीक के संदेेश से देश-दुनिया में चर्चित बिहार का मिथिलांचल अपने कण-कण में लोक कला, लोक संस्कृति, लोक पर्व और लोक उत्सव को भी समेटे हुए हैं, इन्हीं में से एक है मधुश्रावणी।

अनेक सांस्कृतिक विशिष्टताओं को अपने आंचल में संजोये मिथिलांचल का घर, आंगन, बाग, बगीचा, खेत, खलिहान और मंदिर परिसर मधुश्रावणी के कारण पायल की झंकार तथा मैथिली गीतों से मनमोहक हो उठा है।

बुधवार की रात नवविवाहिता ने जब अपने घर में नाग-नागिन (नाग देवता) की मिट्टी से बनी मूर्ति स्थापित कर विषहर, गौरी, गणेश समेत अन्य देवताओं का पूजन किया तो यहां की हर गलियां ”हम तो अपन पिया जी के रूप में देखिला श्रीराम के” से गुंजायमान हो उठा है।

नागपंचमी की रात से सुहाग की अमरता के लिए प्रार्थना का विशिष्ट लोक पर्व मधुश्रावणी का अनुष्ठान नव विवाहिता के लिए किसी तपस्या से कम नहीं है।

तेरह दिनों तक चलने वाला यह लोक पर्व इस बार कृष्ण पक्ष में दो दिन षष्ठी तिथि रहने के कारण पंद्रह दिनों का हो गया है, जो कि एक तरह से नव दंपतियों का मधुमास है तथा समापन अंतिम पूजा के बाद टेमी दागने के साथ होगा।

यह भी पढ़ें:  Madhubani News। Khutona News। महिला की कुचलकर मौत, 2 Bike सवारों को रौंदने वाला अग्निशमन ड्राइवर गिरफ्तार

इसमें प्रत्येक दिन वासी फूल और पत्ता से भगवान भोले शंकर, माता पार्वती के अलावे मैना विषहरी, नाग नागिन, गौरी की विशेष पूजा होती है, इसके लिए तरह-तरह के पत्ते तोड़े जाते हैं। पूजा के लिए अहले सुबह चार बजे से पहले ही नवविवाहिता, घर की महिलाएं और सखियों के साथ गांव घर में घूम-घूम कर विभिन्न तरह का फूल इकट्ठा कर लेती है। उस फूल को नाग पंचमी की रात कोहबर घर में स्थापित किए गए नाग देवता के समक्ष डाली में रख दिया जाता है।

शाम में सोलहों श्रृंगार से सजी नवविवाहित और उनकी सखियां मैथिली गीत गाते हुए सुबह जमा किए गए फूल को चुनने (डाली में सजाने) तथा पत्ती तोड़ने के लिए निकलती हैं तो गजब का समां बंध जाता है। अगले दिन सुबह में इसी बासी फूल से पति की लंबी आयु के लिए भगवती गौरी के साथ विषहर यानी नागवश की पूजा करती हैं, रात में भी कथा-कहानी और आरती किया जाता है।

सबसे खास बात है कि मिथिला में यह एकलौता पूजन है जिसमें पुरुष का कोई काम नहीं है, ना पूजा में ना विसर्जन में, सभी काम महिलाएं ही करती। इस दौरान सुबह से रात तक मैथिली देवी गीत, भोला शंकर-पार्वती के गीत, कोहबर के गीत, विवाह के गीत, राम विवाह गीत एवं अन्य पारंपरिक गीत से महिलाएं वातावरण को ओत-प्रोत करते रहती हैं।

यह भी पढ़ें:  Madhubani News, Harlakhi News ...अगले दिन भी पुलिस 'नदारद', 2 दुकानों में भीषण चोरी, तीसरी में ...

प्रथा है कि इन दिनों नव विवाहिता ससुराल के दिये कपड़े-गहने ही पहनती है और भोजन भी ससुराल से भेजे अन्न का करती है। नव विवाहिता विवाह के पहले साल मायके में ही रहती है, इसलिए पूजा शुरू होने के एक दिन पूर्व नव विवाहिता के ससुराल से सारी सामग्री भेज दी जाती है।

पहले और अंतिम दिन की पूजा बड़े विस्तार से होती है। जमीन पर सुंदर तरीके से अल्पना बना कर ढे़र सारे फूल-पत्तों से पूजा की जाती है। पूजा के बाद रोज दिन अलग-अलग कथाएं भी कही जाती हैं।

यह भी पढ़ें:  Madhubani News। Khutona News। महिला की कुचलकर मौत, 2 Bike सवारों को रौंदने वाला अग्निशमन ड्राइवर गिरफ्तार

इन लोक कथाओं में सबसे प्रमुख राजा श्रीकर और उनकी बेटी की है। इस दौरान शंकर-पार्वती के चरित्र के माध्यम से पति-पत्नी के बीच होने वाली नोक-झोंक, रूठना-मनाना, प्यार-मनुहार जैसे कई चरित्रों के जन्म, अभिशाप और अंत की कथा भी सुनाई जाती है। जिससे कि नवदंपती इन परिस्थितियों में धैर्य रखकर सुखमय जीवन बिताएंं, क्योंकि यह सब दांपत्य जीवन के स्वाभाविक लक्षण हैं। पूजा के अंत में नव विवाहिता सभी सुहागिन को अपने हाथों से खीर का प्रसाद एवं पिसी हुई मेंहदी बांटती हैं। 13 या 15 दिनों तक यह क्रम चलता रहता है फिर अंतिम दिन बृहद पूजा होती है, जिसमें पूजा के क्रम में लड़की को सहनशील बनाने की कामना के साथ दोनों पैर एवं घुटनों को जलती हुई दीये की टेमी (दिये की जलती बत्ती) से दागा जाता है।

 

पंडित आशुतोष झा बताते हैं कि मधुश्रावणी व्रत और पूजन का मिथिला तथा खासकर मैथिल समाज में काफी महत्व है। यह व्रत नव विवाहिता अपने अमर सुहाग के लिए करती है। शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती ने भी यह व्रत-पूजन किया था।

ताज़ा खबरें

Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया deshajtech2020@gmail.com पर लिखें।

- Advertisement -
- Advertisement -
error: कॉपी नहीं, शेयर करें