मुंबई। केंद्रीय उद्योगमंत्री नारायण राणे पर नासिक सायबर पुलिस स्टेशन में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करने पर मामला दर्ज किया गया है।
नासिक में शिवसेना नेता व पार्षद सुधाकर बडगुजर ने सोमवार रात एक बजे यह शिकायत दर्ज कराई है। सुधाकर बडगुजर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल नारायण राणे को केंद्रीय मंत्री समूह से हटाने की भी मांग की है।
नासिक के पुलिस आयुक्त दीपक पांडे ने नारायण राणे को उनके पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए तत्काल गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश जारी किया है। नारायण राणे की जन आशीर्वाद यात्रा आज पांचवें दिन रत्नागिरी स्थित चिपलुन में आयोजित की गई है। इसी वजह से नारायण राणे यहां परशुराम घाट इलाके में होटल रिम्ज रिसोर्ट में ठहरे हैं। चिपलुन में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
मुंबई के दादर इलाके में नारायण राणे को मुर्गीचोर बताते हुए बैनर लगाया गया है। शिवसैनिकों की तीव्र भावना को देखते हुए सांताक्रुज स्थित जुहू इलाके में नारायण राणे के बंगले के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
औरंगाबाद के शिवसेना नेता अंबादास दानवे ने नारायण राणे के विरोध में मामला दर्ज करवाना शुरू किया। महाराष्ट्र के कई पुलिस स्टेशनों में नारायण राणे के विरोध में मामला दर्ज करवाया जा रहा है।
शिवसेना नेता सुधाकर बडगुजर ने कहा कि आज वे शिवसैनिकों की बैठक आयोजित करने वाले हैं। बैठक में शिवसैनिक नारायण राणे के विरुद्ध आंदोलन की दिशा तय करेंगे। शिवसेना नेता विनायक राऊत ने कहा कि नारायण राणे को केंद्रीय मंत्री बनने के बाद बिना राग द्वेष के काम करना चाहिए।
लेकिन नारायण राणे भारतीय जनता पार्टी को खुश करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व उनके परिवार के विरोध में निम्न स्तर पर बयानबाजी कर रहे हैं। इसे शिवसैनिक बर्दाश्त नहीं करेगा।
दादर इलाके में पार्षद अमेय अरुण घोले ने नारायण राणे को कोंबड़ीचोर (मुर्गीचोर) बताते हुए बैनर लगाया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री के तौर पर नारायण राणे की बयानबाजी से शिवसैनिकों की भावनाएं आहत हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि नारायण राणे ने सोमवार को रायगढ़ जिले में स्थित महाड में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा था कि कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है, यह इसे (मुख्यमंत्री) कैसे पता चला।
यह कह रहा है कि कोरोना बच्चों में फैलने वाला है, इसे यह कैसे पता चला। इसे तो यह भी नहीं पता कि यह कौन-सा स्वतंत्रता दिवस था। यह भी उसे अधिकारियों से पूछना पड़ता है।
मंत्रालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण के बाद भाषण करते समय उसने अधिकारी से पूछा था। अगर मैं वहां रहता तो उसके कान के नीचे बजा देता। नारायण राणे के इसी वक्तव्य के बाद पूरे राज्य में शिवसैनिक आक्रामक हो गए हैं।