बिहार पंचायत चुनाव में नक्सलियों की मदद लेने वालों की खैर नहीं है। अपने प्रभाव वाले इलाकों में जीत-हार का समीकरण गढ़ने की फिराक में रहनेवाले नक्सलियों पर सुरक्षाबलों के साथ खुफिया एजेंसियों की भी इस बार पैनी नजर है।
नक्सल के लिहाज से बिहार के कई इलाके संवेदनशील माने जाते हैं। खासकर गया, औरंगाबाद, जमुई, लखीसराय, मुंगेर, नवादा के सीमावर्ती इलाके जो झारखंड से सटे हैं या वह पहाड़ी क्षेत्र हैं जहां नक्सलियों की अच्छी-खासी पैठ है।
नक्सली चुनाव का भले ही बहिष्कार करते रहे हैं पर इसमें उनकी दिलचस्पी किसी से छुपी नहीं है। पंचायत चुनाव में नक्सली कुछ ज्यादा ही सक्रिय रहते हैं। पूर्व के चुनाव में कई नक्सली कमांडरों ने अपने चहेतों के सिर जीत का सेहरा भी बंधवाया है।
नक्सली पंचायत चुनाव को प्रभावित न कर सकें, इसके लिए इसकी घोषणा के साथ ही सुरक्षाबल भी चौकस हो गए हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सुरक्षाबलों के साथ खुफिया एजेंसियां भी सतर्क हैं, क्योंकि अपने प्रभाव वाले इलाके में वे अपने चहेतों को मदद करने की कोशिश करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक ऐसे ही इलाकों पर सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों की नजर हैं। न सिर्फ इनकी नजर नक्सली कमांडरों पर होगी बल्कि इन इलाकों में पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाने वालों पर भी निगाह रखी जाएगी। कोई प्रत्याशी नक्सलियों की मदद लेने की कोशिश करेगा तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।