आकिल हुसैन मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। महंगाई पर रोक लगाने, बेरोजगारों को रोजगार की गारंटी देने व श्रम कानून में मालिक पक्षीय बदलाव सहित तेरह सूत्री मांगों को लेकर ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी संघों की हड़ताल का जिले में मिला जुला असर रहा। अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस एटक से संबंद्ध यूनियन के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने राम चंद्र शर्मा, सत्य नारायण राय, मनतोर देवी, सुरेश दास, मनोज दास, दिनेश भगत, राम कृष्ण ठाकुर, भोगेंद्र यादव व अताउर रहमान अंसारी के नेतृत्व में स्थानीय स्टेशन पहुंचकर सुबह करीब नौ बजे सवारी ट्रेन को बीस मिनट तक रोके रखा।
जिसे रेल यातायात पर असर पड़ा। वहीं केंद्र सरकार के कथित श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ दस केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर दो दिवसीय भारत बंद के पहले दिन जिले के सभी बैंक बंद रहे। इसी दौरान स्टेट बैंक के खुले रहने की सूचना मिलते ही हड़ताली बैंककर्मियों ने स्टेट बैंक पर पहुंचकर स्टेट बैंक को भी बंद कराया। बंद समर्थक बैंक कर्मियों को संबोधित करते हुए जिला बैंक यूनियन के संयोजक रामाशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार मजदूर विरोधी है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों का हम सभी

बैंक कर्मी विरोध कर रहे हैं। यही कारण है कि दो दिवसीय भारत बंद में हम सभी शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के आपस में विलय व निजी करण पर सरकार रोक लगाए। अगर सरकार रोक नहीं लगाती है तो इसके खिलाफ आंदोलन और भी तेज किया जाएगा। इस अवसर पर संतोष यादव, पंकज चौधरी, विश्वजीत चौधरी, संदीप, बीएस ब्रजेश, राम कुमार यादव, किशोर कुमार, अवधेश प्रसाद, अमर कुमार, राज मोहन झा, मणिकांत झा समेत कई लोग मौजूद थे।

इधर, बिहार चिकित्सक व जन–स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के तत्वावधान में आशा, एंबुलेंस चालक, संविदा पर कार्यरत कर्मी सहित कई कर्मी दो दिवसीय हड़ताल को कामयाब बनाने को लेकर हड़ताल समर्थन में सदर अस्पताल में दिन भर डटे रहे। आयोजित सभा को संबोधित करते हुए विजय कुमार यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में डाटा आपरेटर, एंबुलेंस चालकों सहित अन्य कर्मियों को सही मजदूरी तक नहीं मिल रही है। वहीं, डाक कर्मचारी संघ तत्वाधान में ग्रुप सी, पोस्टमैन व ग्रामीण डाक सेवक अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर रहे। मुख्य डाक घर के समक्ष संघ के नेता फुलदेव यादव, उदय नाथ भाष्कर व महेश महतो के नेतृत्व में डाक कर्मी हड़ताल के पहले दिन केंद्रीय सरकार की गलत नीति के विरोध नारेबाजी की।



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