पटना। बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ की विभीषिका के समाधान के लिए नदियों के आपस में जोड़ने को लेकर नीतीश सरकार गंभीर दिख रही है।
इसी कड़ी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार की दो-दो नदियों को चुना गया है। दक्षिण बिहार में सकरी नाटा की बन रही फिजीबिलिटी रिपोर्ट पर काम चल रहा है।
उत्तर बिहार में बूढ़ी गंडक, बागमती और नून नदी को जोड़ने पर काम चल रहा है। प्रदेश सरकार में जदयू कोटो से जल संसाधन मंत्री संजय झा ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगले डेढ़ माह में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर लिया जाएगा। अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो आगे बिहार की अन्य नदियों को जोड़ने पर भी काम किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिहार में नेपाल से आने वाले पानी के कारण बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है। नदियों के जोड़ने से इस समस्या से काफी हद तक मुक्ति मिल जाएगी। नदियों को जोड़ने से सिंचाई में भी पानी का प्रयोग किया जाएगा।
संजय झा ने कहा कि कोसी-मेची नदी को जोड़ने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग की जरूरत पड़ेगी। परियोजना के अंतर्गत पूर्वी कोसी मेन कनाल को महानंदा की सहायक नदी मेची से जोड़ा जाएगा ताकि महानंदा के उस बेसिन क्षेत्र को पानी मिल सके, जहां पानी की कमी है।
इस परियोजना में कोसी का अतिरिक्त पानी महानंदा बेसिन में पहुंचाया जाएगा। इस योजना से बिहार के चार जिले किशनगंज ,पूर्णिया कटिहार ,अररिया को मदद मिलेगी।हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इसे राष्ट्रीय योजना से जोड़ा जाए।
उल्लेखनीय है कि बिहार में नदियों के जोड़ने की योजना पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय बनाई जा रही है लेकिन अभी तक इस पर काम नहीं किया जा सका है, जबकि हर साल उत्तर बिहार की एक बड़ी आबादी नदियों में आने वाली बाढ़ की विभीषिका का सामना करते हैं। इस साल भी बाढ़ ने बिहार के आधे से ज्यादा जिलों में तबाही मचाई है।


