मीरजापुर। श्रद्धा व आस्था से जुड़ा मां विंध्यवासिनी का दरबार अब नए कलेवर में नजर आने लगा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य काॅरिडोर की चर्चा दूर-दूर तक है।
नए कलेवर में जगमगा रहा विंध्यधाम, काॅरिडोर की झलक देख श्रद्धालु उत्सुक
इसमें हर किसी ने अपनी भागीदारी निभाई है। प्रशासन ने भी मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को सपनों सरीखा बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। यही कारण रहा कि कोरोना काल में भी काॅरिडोर का कार्य प्रभावित नहीं हुआ। विंध्य काॅरिडोर निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण के बाद विंध्यधाम संकरी गलियों से मुक्त हो गई है। इससे श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत होने लगी है।
बोले श्रद्धालु, कारिडोर निर्माण से दिव्य होगी भव्यता, बढ़ेगी पर्यटकों की आमद
शारदीय नवरात्र आते ही विंध्यधाम में प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही आस्था की हिलोरें चरम पर होती है। श्रद्धा के इसी समंदर में मां विंध्यवासिनी के अतुल्य वैभव से विंध्यधाम चमकने-दमकने लगता है। मंदिर पर किया गया आकर्षक विद्युत सजावट श्रद्धालुओं को खुद-ब-खुद आकर्षित कर रहा है।
मंदिर के चारों तरफ बैरिकेडिंग करके दर्शनार्थियों को अंदर प्रवेश दिया जा रहा है और दूसरे रास्ते से बाहर निकाला जा रहा है, ताकि कोरोना से बचाव किया जा सके और मां का दर्शन भी आसानी से हो सके। आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी के चौखट पर आने के साथ ही श्रद्धालुओं को विंध्य काॅरिडोर कैसा होगा, इसका आभास होने लगा है। विंध्यवासिनी मंदिर से गंगा दर्शन भी सुगम हो चुकी है।
नवरात्र के अवसर पर विंध्यवासिनी धाम में रंग-बिरंगी छटा अलौकिक दृश्य उत्पन्न कर रही है। मां विंध्यवासिनी का आंगन लाल चुनरी से सजा है, जो माहौल को और दिव्य बना रहा है। वैसे तो माता के मंदिर में सजावट हमेशा बनी रहती है, लेकिन नवरात्र के दौरान यहां की सजावट दूर से ही भक्तों का ध्यान आकर्षित करती है। मंदिर की फूलों से की गई सजावट देखते ही बनती है।
शारदीय नवरात्र के दौरान विंध्यधाम पहुंचने वाले श्रद्धालु विंध्य काॅरिडोर की झलक देख काफी उत्सुक दिखे। अभी तक तो शासन व प्रशासनिक तौर पर ही कहा जाता था कि काॅरिडोर बनने से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। अब तो श्रद्धालु भी कहने लगे हैं कि कारिडोर बनने से निश्चित तौर पर श्रद्धालुओं की आमद बढ़ेगी।
एक अगस्त को बहुप्रतीक्षित विंध्य काॅरिडोर का शिलान्यास होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होने का इंतजार है। हालांकि शारदीय नवरात्र के बाद निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है। इसके लिए सारी प्रक्रियाएं लगभग पूर्ण हो चुकी है।
रोप-वे से भरी उड़ान, श्रद्धालुओं की राह हुई आसान
लंबे इंतजार के बाद एक अगस्त को उद्घाटन हुआ तो रोप-वे को उड़ान भरने का मौका मिला। पर्यटन विभाग ने 16 करोड़ की लागत से पीपीपी माडल पर विंध्य पर्वत पर रोप-वे का निर्माण कराया है।
यह पूर्वांचल का पहला रोप-वे है। पहले मां अष्टभुजा व मां काली के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ी चढ़कर जाना होता था, जो बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए खासा थकान भरा होता था। अब रोप-वे संचालन शुरू होने से श्रद्धालुओं की राह आसान हो गई है और काफी सहूलियत भी होने लगी है।