पटना। पटना हाई कोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघों को अंतरिम राहत दी है। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता भी प्रधान शिक्षक के लिए परीक्षा दे सकते हैं।
नियमावली को पटना हाई कोर्ट में चुनौती
प्रधान शिक्षक की नियुक्ति के लिए टीईटी को अनिवार्य करने की मांग हो रही है। टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों संघ ने प्रधान शिक्षक नियुक्ति नियमावली को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी है और इसमें सुधार की मांग की है।
इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने शिक्षक संघों को अंतरिम राहत दी है। संघ की ओर से हाई कोर्ट के वकील कुमार शानू ने बताया कि इस मामले में हाई कोर्ट का निर्देश आया है कि याचिकाकर्ता संगठन के सभी सदस्य अभी प्रधान शिक्षक के लिए परीक्षा दे सकते हैं, लेकिन आगे कोर्ट का जो भी फैसला अंतरिम आदेश होगा वही मान्य होगा।
शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय कहते हैं कि आरटीई और एनसीटीई के मानकों को पूरा करने वाले बेसिक ग्रेड के शिक्षकों को प्रधान शिक्षक बनाना चाहिए। साथ ही जब शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य है तो देश के अन्य राज्यों की तरह प्रधान शिक्षक बनने के लिए भी टीईटी की अनिवार्यता लागू करनी चाहिए।
सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक पद के लिए 8 वर्षों का अनुभव निर्धारित किया है। लेकिन टीईटी शिक्षकों की बहाली ही वर्ष 2014 से शुरू हुई है। ऐसे में वे आठ वर्षों का अनुभव प्रमाण पत्र कहां से लाएंगे?
बड़ी बात यह भी है कि सरकार ने शुरुआत में तो बिना बीएड शिक्षकों को बहाल किया था और काफी देर से उनकी ट्रेनिंग करवाई थी। इसलिए सरकार को व्यवहारिक नियमावली बनानी चाहिए। सरकार की ओर से बनायी गयी वर्तमान नियमावली से टीईटी शिक्षक, प्रधान शिक्षक पद के लिए पूरी तरह से अयोग्य हो जाएंगे। सरकार की गलत नियमावली के विरोध में संघ ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
संघ के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कोर्ट के निर्देश के बाद कहा कि बिहार के सभी टीईटी शिक्षकों की तरफ से उच्च न्यायालय के प्रति आस्था और सम्मान व्यक्त करते हैं कि संगठन के सभी सदस्यों को प्रधान शिक्षक बहाली में शामिल होने का अवसर कोर्ट ने दिया है। उन्होंने कहा कि संघ से बेसिक ग्रेड के 70 हजार सदस्य जुड़े हुए हैं, उनको इसका लाभ मिलेगा।