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22 जून, 2024
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देशज नवरात्रि विशेष : अपरंपार है बिहार के क्षिणमस्तिका सखरेश्वरी भगवती की महिमा, राजा, रानी, राष्ट्रपति, या मंत्री, सब टेक चुके है माथा, जानिए क्या रहा है अबतक का इतिहास

लोगों का कहना है कि इस तालाब में एक ऐसी मछली है जिनके नाक में स्वर्ण नथिया है। भगवती का मस्तिक भी इसी तालाब में है। अंतर्ध्यान होने पर सिद्ध पुरुष को सोना का सिंह वाला एक महिषा पोखर से निकलते दर्शन देते हैं।

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निर्मली। निर्मली अनुमंडल के राजपुर गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर नेपाल के सप्तरी जिला अंतर्गत सखड़ा में स्थित छिन्नमस्तिका सखरेश्वरी भागवती स्थान इन दिनों विशेष रूप से सजने लगे हैं।

 

नवरात शुरू होते ही इस स्थान का महत्व काफी बढ़ गया है। इसकी एक और बड़ी अहमियत यह है कि नेपाल के चार सिद्ध शक्ति पीठ में सखरेश्वरी भगवती माता का भी स्थान है। जिसकी घोषणा वर्ष 2010 में नेपाल के आध्यात्मिक पीठाधीपति महाराज ने सखरा मंदिर परिसर में आयोजित एक विशेष समारोह में की थी।

सखड़ा में सामान्य दिनों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नवरात्रा के प्रथम दिन से ही माता के दरबार मे रंक से लेकर राजा तक दर्शन करने आते हैं। (Kshin Mastika Khareshwari Bhagwati Bihar) नवरात्रा में प्रथम दिनों से लेकर दसवीं तक में लगभग 11 हजार छाग की बलि दी जाती है। इस स्थल की खास विशेषता यह है कि बलि प्रदान के बावजूद भी यहां एक भी मक्खी नहीं बैठती है।

यहां किसी प्रकार की रासायनिक दवा का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। नेपाल के दिवंगत राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम शाह देव और महारानी ऐश्वर्या राज लक्ष्मी देवी सा नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव भारत के तत्कालीन रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र प्रसिद्ध गायक उदित नारायण झा भी यहां भगवती के दर्शन के लिए आए थे।

सखडेश्वरी भगवती की इतिहास वर्तमान हालत पर आधारित एक पुस्तक विमोचन करीब 2 वर्ष पूर्व किया गया। प्रकाशित पुस्तक के अनुसार लगभग 306 वर्ष पूर्व इस स्थल पर सेन वंश का राजा था जो मकवानपुर नाम से जाना जाता था।

उसी समय क्षिणमस्तिका भागवती की स्थापना हुई थी जो बाद में सखडेशवरी भगवती के नाम से विख्यात हुई। शक्ति पीठ के अद्भुत महिमा के कारण यहां श्रद्धालुओं आगमन होने लगा। लोगों के अनुसार पंडित प्याकुरेल उपाध्यक्ष के संस्थापक थे। इस स्थल के नाम से करीब 16 एकड़ भूमि निबंधित है। इसकी देखरेख मंदिर कमेटी द्वारा की जाती हैं।

मंदिर के प्रांगण में विवाह , मुंडन, पाठ हवन ,हवन कुंड ,कुंवारी कन्या को भोजन कराने आदि के लिए पक्का भवन है। मंदिर के सामने एक विशाल तलाब है उसमें 12 महिना पानी रहता है। इस पोखर में बलि प्रदान के क्रम में छाग का रक्त समाता है। लोगों का कहना है कि इस तालाब में एक ऐसी मछली है जिनके नाक में स्वर्ण नथिया है। भगवती का मस्तिक भी इसी तालाब में है। अंतर्ध्यान होने पर सिद्ध पुरुष को सोना का सिंह वाला एक महिषा पोखर से निकलते दर्शन देते हैं।

शक्तिपीठ के पीठाधीश पंडित महाकांत ठाकुर ने बताया कि सिद्धि पीठ सखरेश्वरी भगवती मंदिर की महिमा अपरंपार हैं। इनकी ख्याति और कीर्ति किसी से छिपी नहीं हैं। माता के दरबार मे तंत्र साधना तथा पूजा अर्चना के लिए लोग दूर दराज से आते हैं। नवरात्रा में भारत और नेपाल के कई बड़ी हस्ती मां के दरबार में मन्नते मांगने आते है।

जिसमें भारत और नेपाल सरकार के कई मंत्री ,एमपी,विधायक से लेकर फिल्मी दुनियां के गायक,गायिका,कलाकार भी इस मां से आशीष लेने पहुंचते हैं।लोग कहते हैं कि इस दरबार में सबकी मुरादे पूरी होती हैं मां के दरबार से कोई खाली नही लौटता।

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