बेगूसराय। पिछले तीन दिनों से रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश के कारण जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। बेगूसराय में तेज हवा के साथ हुई 180 एमएम से अधिक बारिश ने जमकर कहर बरपाया है तथा यहां 50 लाख से अधिक की क्षति हो चुकी है। गरीबों के करीब दो सौ घर धराशाई हो गए हैं, 25 हजार एकड़ से अधिक जमीन में लगा धान का फसल बर्बाद हो गया है।
काटकर खेत में पथार दिए गए धान पानी में डूब गए हैं। जबकि पक कर तैयार धान का पौधा खेत में गिर गया है। इस बार बेगूसराय में बड़े पैमाने पर बासमती धान की खेती की गई थी, लेकिन वह धान की फसल तैयार होना भी असंभव हो गया है। मानसून के पूर्व भारी बारिश होने के कारण बेगूसराय का सबसे बड़ा नगदी फसल गन्ना बर्बाद हो गया था, 30 हजार एकड़ से भी अधिक में लगे गन्ना में पानी लगने से वह गलने लगा।
मानसून जाने के बाद मौसम जब ठीक हुआ तो किसानों में कुछ आशा जगी, लेकिन चित्रा नक्षत्र की इस भीषण बारिश ने किसानों के अरमानों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया। अभी लगाई जा रही सरसों की खेती भी चौपट हो गई है, हजारों बीघा में पिछले सप्ताह किसानों ने सरसों की बुवाई की थी लेकिन भारी बारिश और जलजमाव हो जाने के कारण वह भी बर्बाद हो गया।
निचले हिस्से चौर के हजारों एकड़ में भारी जलजमाव के कारण रवि की बुवाई पर ग्रहण लग गया है। चौर में जमे पानी ने नदी का रूप धारण कर लिया है, इसको लेकर किसानों में भारी मायूसी एवं निराशा का आलम है। हथिया नक्षत्र में ऊपरी हिस्से की भूमि में मक्का, दलहन, तिलहन जौ, हरा चारा आदि की बुवाई होती थी। लेकिन 15 दिन पूर्व हथिया नक्षत्र की बारिश ने किसानों को खेत तैयार करने नहीं दिया। उसके बाद किसान खेत की तैयारी के मूड में आए तो तीन दिनों से हो रही चित्रा नक्षत्र की भारी वर्षा ने दलहन और तिलहन की बुवाई का आशा समाप्त कर दिया है।
धान और गन्ना के लिए मशहूर काबर इलाका के किसान और किसान सलाहकार अनीश कुमार ने बताया पिछले दो वर्षों से अच्छी बारिश को देखकर धान के रकबा में काफी बढ़ोतरी हुई। धान के आरंभिक दिनों में भी अत्यधिक बारिश से निचले क्षेत्र के फसलों को काफी नुकसान हुआ था और अब चित्रा नक्षत्र की तूफानी बारिश ने फसल काटने के किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया, तूफानी हवा के साथ बारिश ने किसानों के सपने को झकझोर कर रख दिया है।
शायद ही ऐसा कोई प्लॉट दिख जाए जिसमें धान खड़ा मिलेगा। दूसरी ओर किसान रबी की बुवाई में भी जुट गए थे, जिसमें मसूर, सरसों आदि फसलों की बुवाई कर दी, इनके बीज अंकुरण से पूर्व ही गल जाएंगे। इसके अलावा गन्ना की फसल को व्यापक क्षति हुई है, ज्यादातर गन्ना धराशाई हो चुके हैं, जलजमाव से किसानों के लिए एक बड़ी समस्या दिखाई देने लगी है, रवि फसल के शोइंग में और भी विलंब होगी।
उन्होंने बताया कि किसानों के साथ सबसे बड़ी विडंबना है, चार वर्ष पूर्व तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बिहार में लागू था, जिसमें मामूली प्रीमियम पर किसानों के फसल नष्ट होने पर मुआवजा आसानी से उनके खाते में आ जाता था। लेकिन जबसे इसे बंद कर मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना लागू किया गया, किसानों को फसल क्षति के विरुद्ध कुछ भी हाथ नहीं लगा है। किसानों में काफी मायूसी छाई हुई है, जिसका हल सरकार को ढूंढना होगा।