बिहार विधानसभा सत्र के दौरान बुधवार को भाजपा के विधायकों ने ही सरकार और जदयू के मंत्री पर निशाना साधा। भाजपा विधायक संजय सरावगी ने विधान सभा में एक भ्रष्ट इंजीनियर जिसके पास से 67 लाख रुपये पकड़े जाने के बाद उस पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर सवाल उठाए।
उन्होंने अगस्त महीने में दरभंगा के एक इंजीनियर के पास 67 लाख नकद एवं करोड़ों की चल-अचल सम्पति के बरामदगी के बावजूद थाने से ही जमानत मिल गई एवं उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी नहीं हुई। उन्होंने ग्रामीण कार्य मंत्री से सवाल किया कि वे बताएं कि इंजीनियर के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
भाजपा विधायक के इस सवाल का जवाब देने में ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज कुशवाहा असहज दिखे और वे कुछ भी स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। भाजपा विधायक के आरोप के बाद सदन में विपक्ष ने भी इस मामले को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।
विपक्ष के विधायकों ने यह भी कहा कि सत्ताधारी भाजपा के विधायक ही आरोप लगा रहे कि भ्रष्ट इंजीनियर को बचाया गया है। बाद में विधान सभा अध्यक्ष ने सदन की कमेटी से इस मामले की जांच कराए जाने की बात कह इस मामले पर हो रहे हंगामा को रोक दिया।
भाजपा के एक और विधायक नीतीश मिश्रा ने विधानसभा में जदयू कोटा के ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज को निशाने पर लिया। नीतीश मिश्रा ने आरोप लगाया कि ग्रामीण कार्य प्रमंडल के अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को तरजीह नहीं देते हैं और ग्रामीण कार्य विभाग के योजनाओं से संबंधित शिलापट्ट में भी जनप्रतिनिधियों का नाम नहीं दिया जाता है।
भाजपा विधायक के आरोप के बाद ग्रामीण कार्य मंत्री के बचाव में स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोलने कर लिए खड़े हुए। मुख्यमंत्री ने बगैर किसी का नाम लिए कहा अपने मंत्री थे तब क्या व्यवस्था थी यह भी बताइए। उनका इशारा नीतिश मिश्रा पर था। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अधिकारी मनमानी नहीं कर सकेंगे। अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों को तरजीह देना होगा।
इस खेल में बड़े-बड़े महारथी शामिल हैं
इंजीनियर की विस्फोट वाली बात यह इशारा कर रही है थी इस खेल में बड़े-बड़े महारथी शामिल हैं। पटना में कोई न कोई तो उसका आका है, जिसे वह रुपए पहुंचाने जा रहा था। आखिर वह कौन है? जी है मैं बात कर रहा हूं दरभंगा जिले में ग्रामीण कार्य विभाग में पदस्थापित अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार की।
बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर एक कहावत बहुत प्रचलित है खीरा चोर को जेल और हीरा चोर को बेल मुजफ्फरपुर पुलिस कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिस इंजीनियर के पास से 67 लाख रुपया केस बरामद हुआ है उसको थाने पर से ही बेल दे दिया गया है, जबकि खुद थाना अध्यक्ष लिखित में स्वीकार किया है कि इंजीनियर अनुसंधान में सहयोग नहीं कर रहे हैं, ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर अनिल कुमार सिंह के दरभंगा स्थित आवास से मिली जमीन के 25 दस्तावेज और जब्त हुए 67 लाख रुपए विशेष निगरानी काेर्ट में मंगलवार काे पेश किया गया।
इधर, एसएसपी जयंत कांत ने बताया कि इस केस को आर्थिक अपराध इकाई काे भेजा जा रहा है। अभी एएसपी पश्चिमी कांड की जांच करेंगे। फिलहाल इंजीनियर काे निजी मुचलके पर थाने से ही छाेड़ा गया है। अधीक्षण अभियंता ने सोमवार को पूछताछ में अधिकारियाें से कहा था कि यदि उसने मुंह खोल दिया तो पटना तक विस्फोट हो जाएगा।
दाे दिनाें से उनसे इनकम टैक्स, ईओयू व पुलिस अधिकारी मैराथन पूछताछ कर रहे थे। इंजीनियर पर अब जो मामला दर्ज हुआ है उसके तहत आईपीसी की धारा 424 और भ्रष्टाचार निवारण की धारा 13 (1बी) लगाया है हलाकि इसमें सात वर्ष के सजा का प्रावधान है ऐसे में आप थाना से जमानत दे सकते हैं लेकिन जो अपराधी आपको अनुसंधान में सहयोग नहीं कर रहा है उसको आप थाने से बेल कैसे दे दिए ये एक बड़ा सवाल मुजफ्फरपुर पुलिस से हैं।
फिर इस इंजीनियर से किस बात की मोहब्बत मुजफ्फरपुर पुलिस को सामने आकर कहना चाहिए वही पांच दिन बाद भी इस मामले को लेकर राज्य में भ्रष्टाचार को लेकर गठित कोई भी एजेंसी अभी तक इस मामले को टेक ओभर नहीं किया है ऐसे कई सवाल है जिसको लेकर पुलिस मुख्यालय से लेकर मुजफ्फरपुर पुलिस तक चुप्पी साधे हुए हैं।
ऐसे में संदेश और सवाल स्वभाविक है कौन है इंजीनियर का रहनुमा जिसके सामने पूरी सरकार मूक दर्शक बनी हुई है और इंजीनियर कह रहा है कि बिहार में वर्क कल्चर ऐसा है कि पैसा लेना पड़ता है इसलिए ज्यादा सवाल मत करिए मुंह खोल दूं तो पटना तक में भूचाल आ जाएगा।
ठीक है विस्फोट होता है तो होने दो नाम बताओ। तब उसने कहा “वह इस मानसिक स्थिति में नहीं है कि बयान दे सके।’ बता दें कि अधीक्षण अभियंता की स्कार्पियो गाड़ी से शनिवार को 18 लाख कैश मिले थे। इसके बाद पुलिस ने उसके घर पर रेड मारकर 49 लाख रुपए कैश बरामद किए थे।
अभी तक पुलिस यह तय नहीं कर पा रही है कि इस इंजीनियर के साथ करें क्या, वैसे खबर आ रही है कि इंजीनियर पुलिस को पुछताछ में सहयोग नहीं कर रही है इसलिए अब इनको बेल दे कर छोड़ दिया है हलाकि अधिकारिका तौर पर पूरा सिस्टम खामोश है कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
बिहार में भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री के अंदर तीन विभाग है विशेष निगरानी, निगरानी और आर्थिक अपराध इकाई जिसके अधिकारी सीधे सीएम को रिपोर्ट करते हैं एक इंजीनियर के पास से 67 लाख रुपया कैस बरामद हो रहा है लेकिन ये सारी ऐजेंसी ऐसे खामोश है जैसे ये कोई साधारण बात है आर्थिक अपराध इकाई की एक टीम पहुंची हुई है लेकिन चार दिन होने को है लेकिन अभी तक कोई बड़ी कारवाई नहीं हुई है।