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8 नवम्बर, 2024
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बिहार में नीतीश कुमार और BJP के बीच ये रिश्ता क्या कहलाता है…तख्तापलट की तैयारी?

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भी कुर्सी से उतारने की धमकी, कभी सम्राट अशोक पर कोहराम। कभी शराब बंदी के बंदी को लेकर सवाल, कभी जातिय जनगणना का सवाल। कभी गिदड़भबकी कि कहीं,फिर से मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए।

 

यानी हर मुद्दे पर बिहार (Bihar) में आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और सहयोगी दल बीजेपी (BJP) के बीच कुछ ऐसा चल रहा है, सरकार की गाड़ी बार-बार कमल की कीचड़ में फंस जा रही। कभी तीर चलने लगता है, कभी कमल दुहाई-धमकी देती मुरझाती दिखती है।

क्योंकि…तीसरे नंबर की पार्टी की क्या औकात

सवाल, जिस RSS के पूर्व प्रचारक जो कभी लोजपा में गए, NDA उम्मीदवार यानी सीधी तौर पर नीतीश कुमार के जदयू उम्मीदवार को हराया अब एकबार फिर भाजपा और जदयू में चल रहे मतभेद के बीच पूर्व प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह की भाजपा में वापसी के क्या मायने हैं।

इस बीच सीएम नीतीश कुमार की कुर्सी को खतरा हो गया है। यह खतरा फिलहाल सबसे नजदीकी बीजेपी से है। बीजेपी ने इशारों में कह दिया है, या यूं कहें तो स्पष्ट कई बार बीजेपी के कर्ता जता चुके हैं, बीजेपी को अब नीतीश कुमार की शायद जरूरत नहीं। या फिर नीतीश की कुर्सी अब नहीं बचेगी या फिर उस चुनाव का जिक्र करें जब नीतीश कुमार ने कहा था यह हमारी आखिरी बार की चुनाव है। बगैरह-बगैरह…

याद कीजिए, 25 जनवरी 2021 यानी ठीक आज से एक साल पहले, जब नीतीश कर्पूरी ठाकुर को याद करते अपनी कुर्सी पर खतरे की आशंका जताई थी। उनकी बातों से उसी दौरान विशेषज्ञों को लगा, राजनीतिक गलियारे में चहल-कदमी तेज हो गई नीतीश को मुख्यमंत्री की कुर्सी छिनने का डर! सताने लगा है। कर्पूरी ठाकुर की जयंती में नीतीश के बयान से इशारा तो स्पष्ट था कि अतिपिछड़ों को आरक्षण देने पर कर्पूरी की कुर्सी चली गई थी, मैं सत्ता सुख के लिए नहीं, सेवा के लिए राजनीति में हूं।

बिहार में नीतीश कुमार और BJP के बीच ये रिश्ता क्या कहलाता है...तख्तापलट की तैयारी?
बिहार में नीतीश कुमार और BJP के बीच ये रिश्ता क्या कहलाता है…तख्तापलट की तैयारी?

ऐसे में लगता है, बीजेपी वालों को अब इनकी सेवा की जरूरत नहीं है। कारण, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ.संजय जायसवाल ने जदयू को चेताया है, एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने के लिए मर्यादा का पालन रखना चाहिए।

संजय जायसवाल ने कहा, जनता दल यूनाइटेड को गठबंधन धर्म का पालन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्विटर- ट्विटर खेलना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा, अगर प्रधानमंत्री के साथ जेडीयू के नेता ट्विटर- ट्विटर खेलेंगे तो बिहार के 76 लाख बीजेपी कार्यकर्ता इसका जवाब देना जानते हैं। जायसवाल ने सीएम नीतीश कुमार की कुर्सी तक का जिक्र कर दिया।

बिहार में सियासी भूचाल की पटकथा लिखी जानी शुरू हो चुकी है। आरजेडी और जेडीयू के नेता आमने-सामने हैं। इस राजनीतिक तूफान के पीछे लालू यादव का नाम सामने आ रहा है। आखिर सुशासन बाबू के खिलाफ़ कौन कर रहा है साज़िश क्या नीतीश सरकार के तख्तापलट की पटकथा तैयार हो चुकी है।

भले ही बीजेपी की बदौलत नीतीश कुमार बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं, लेकिन जैसे ही बीजेपी नेता ने मुख्यमंत्री पर आरोपों के तीर छोड़े तो बिना देरी नीतीश के सिपासलहार कैमरे के सामने आए।

ऐसे में, बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के जेडीयू को साथ आने का ‘खुला ऑफर’ देने के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है। सवाल यह उठ रहा, क्या वाकई प्रदेश में खरमास के बाद कोई खेला होने जा रहा? इसका दावा आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने किया था।

आरजेडी के इस दांव से बिहार एनडीए (Bihar NDA) में शामिल बीजेपी की टेंशन बढ़ गई है, और बात यहां तक पहुंच गई कि संजय जायसवाल ने यहां तक नीतीश  पर बम फोड़ते कह डाला,इशारों- इशारों में जदयू को यहां तक चेता दिया, गठबंधन में अगर कोई समस्या होती है तो गठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं को मिलकर उसका समाधान निकालना चाहिए वरना ऐसा ना हो कि हालात बिगड़ जाएं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी चली जाए।

संजय जायसवाल ने कहा,हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि फिर से मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए।

लेकिन, नालंदा जहरीली शराब ने ऐसी पानी छोड़ी कि फिलहाल पूरा एनडीए कुनबा लाल हो चुका है। बीजेपी ने ना केवल अपना प्रतिनिधिमंडल नालंदा भेजा बल्कि यहां तक कह डाला, घटना प्रशासनिक लचरता का परिणाम है। निश्चित रूप से बीजेपी का ये तेवर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को नागवार गुज़र रहा होगा, लेकिन उनकी दिक्कत यह है,शराबबंदी के मुद्दे पर अब राज्य में कोई भी राजनीतिक दल उनके साथ नहीं दिखना चाहता है।

रही-सही कसर बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पर पोस्ट डालकर पूरी कर दी।सरकार की शराब नीति पर जमकर खरी खोटी सुना डाली। यहां तक कह दिया कि क्या मृतक के परिवार वालों को भी जेल के अंदर डाला जाएगा?

इससे पहले भी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट लिखकर आरजेडी पर बिना नाम लिए पलटवार (Sanjay Jaiswal Targets Lalu Prasad Yadav) किया था। उन्होंने अपनी पोस्ट में लालू यादव पर अटैक के लिए ‘समाजवादी परजीवी’ लिखा। लेकिन आरजेडी ने इस पर रिएक्ट करते हुए कहा, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने यह बातें नीतीश कुमार के लिए कही है। मृत्युंजय तिवारी ने बीजेपी पर जमकर हमलावर दिखे थे।

वहीं, जदयू और भाजपा के बीच सम्राट अशो की एंट्री हो गई। जेडीयू पिछले पांच दिनों से सम्राट अशोक के बारे में लेखक दया प्रकाश सिन्हा के लिखे आपत्तिजनक अंशों को मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरने का प्रयास कर रही थी। दबाव में भाजपा ने सिन्हा के ख़िलाफ़ पटना कोतवाली थाने में एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई, लेकिन जनता दल यूनाइटेड इस मांग पर अड़ी है, उन्हें दिया गया पद्म पुरस्कार और साहित्य अकादमी का अवार्ड केंद्र सरकार वापस ले।

भाजपा नेताओं का मानना है कि ये सब नीतीश के इशारे पर यूपी विधान सभा चुनावों में सीट लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इसका संज्ञान ना लेकर जेडीयू को अब अपने बलबूते उम्मीदवार खड़ा करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह भी दोनों के बीच खटास का एक खास मुद्दा बना है।

इधर, जेडीयू को इस बात का भी मलाल है, जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मुख्य मंत्री नीतीश कुमार सर्वदलीय बैठक करना चाहते हैं, लेकिन भाजपा के कारण वह भी अधर में है। भाजपा ने उल्टे नीतीश पर इसे बेवजह मुद्दा बनाने का आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है, पार्टी पहले ही विधान सभा के अंदर दो-दो बार प्रस्ताव का समर्थन कर चुकी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा बन चुकी है।

इसके अलावा झारखंड में जब इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने की बारी आई तो वहां के राज्य इकाई के अध्यक्ष भी उसमें शामिल थे, जो इस बात को साफ़ करता है कि भाजपा नहीं चाहते हुए भी इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं कर सकती।

इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड जब भी विशेष राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाती है तो भाजपा के केंद्र से लेकर राज्य के नेता इसे कोई ना कोई तर्क देकर अप्रासंगिक बता देते हैं जो जेडीयू और नीतीश कुमार को पसंद नहीं है लेकिन इन सब घटना क्रम के बाद भी दोनो पार्टियों के नेता मानते हैं कि सरकार को कोई ख़तरा नहीं क्योंकि ना नीतीश विकल्प में अब राष्ट्रीय जनता दल के साथ जाना चाहते हैं और ना भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व फ़िलहाल नीतीश कुमार को कुर्सी से बेदख़ल करना चाहता है।

भाजपा का कहना है कि सब कुछ नीतीश कुमार के इशारे पर किया जाए यह इसलिए असम्भव है क्योंकि नीतीश अब तीसरे नम्बर की पार्टी के नेता हैं और कुर्सी उनको नरेंद्र मोदी के कृपा से मिली है। अब सब मानते हैं, हर मुद्दे पर जैसे जूतम-पैजार की नौबत आ जाती है। खैर, बात निकली है तो यह रिश्ता तख्तापलट ना करा दे, फिलहाल पूरा बिहार इस ठंड में इसी गरमी से गरमा हुआ है। आगे-आगे देखिए होता है क्या…

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