आकिल हुसैन मधुबनी देशज टाइम्स ब्यूरो। बीजेपी शासित तीन राज्यों में चुनावी हार के बाद बीजेपी निराशा के दौर से गुजर रही है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए घबराई मोदी सरकार ने सवर्णों का वोट लेने के लिए अंतिम सत्र के अंतिम दिन सवर्णों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण देने का बिल पेश करती है। दरअसल लोकसभा को ध्यान में रखकर मोदी सरकार सवर्णों को गुमराह कर मत लेने के लिए आरक्षण लायी है। जिस दस प्रतिशत आरक्षण में सवर्णो के साथ मुस्लिम व इसाई भी है।
यह बात कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने पार्टी के जिला कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही। श्री अहमद ने कहा कि वर्ष 2015 में बिहार में ही चुनावी सभा के दौरान मोदी ने ही कहा था कि आरक्षण के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है,तो फिर किस आधार पर केंद्र सरकार ने दस प्रतिशत आरक्षण देने का बिल पेश किया। उन्होने कहा कि सवर्णों को आरक्षण देने का काम 1992 में कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार ने भी की थी लेकिन उस समय अधिवक्ता इंदिरा सहनी सुप्रीम कोर्ट गईं जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे खत्म कर दिया।
श्री अहमद ने कहा कि गरीब सवर्णों के लिए लाए गए आरक्षण पर सरकार की मंशा साफ नहीं है। वो जानते है कि इस आरक्षण के खिलाफ कोई न कोई फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगा। खबरें यह भी आ रही है कि फिर अधिवक्ता इंदिरा सहनी सुप्रीम कोर्ट जाने वाली हैं।
उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट फैसला देगा, तब तक लोकसभा चुनाव में वोट ले लिया जाएगा। उन्होंने, कहा कि लोगों को ये सरकार दिग्भ्रमित कर वोट लेना चाहती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पचास प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। मौके पर बेनीपट्टी की विधायक भावना झा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष शीतलाम्बर झा,मो अमानुल्लाह खान, कृष्णकांत झा गुडडु, दीपक सिंह,नलिनी रंजन झा रूपक,महिंद्र नारायन झा, मो. सनाउल्लाह,जय कुमार,मनोज मिश्र,रंजन झा,मो शब्बीर,मो कमालउद्दीन,मो रेहान,मिथिलेष झा,तैयब इक़बाल अंसारी,मो शाहिद सहित दर्जनों कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद थे। 






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