सरकार की नई व्यवस्था के तहत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत कर आये मुखिया, प्रमुख और अन्य ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के चेक काटने के अधिकार खत्म कर दिए जाने के बाद मुखिया, प्रमुख और संबंधित जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रखंडों के अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर संग्रहित करने का कार्य शुरू हो गया है।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था में निर्वाचित होकर गांव की सरकार चलाने में जुटे जनप्रतिनिधियों के चेक काटने के अधिकार खत्म कर दिए जाने के साथ ही जनकल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में सरकारी पैसे के बंदरबांट की नीयत रखने वालों को गहरा झटका लगा है।
बिहार सरकार की नई व्यवस्था के अंतर्गत सभी सरकारी योजनाओं की राशि का ऑनलाइन भुगतान होगा।सरकार के इस निर्णय से न सिर्फ सरकारी पैसे की बंदरबांट पर रोक लगेगी बल्कि सरकारी योजनाओं का कार्य भी समय पर पूरा होगा।
भोजपुर सहित पूरे बिहार में त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों के मुखिया,प्रमुख और अन्य जनप्रतिनिधियो को चेक काटने के अधिकार मिलने के बाद कई वर्षों तक सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं की राशि मे लूट पाट की शिकायतें मिलती रही और अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि की कड़ी दागदार साबित होती रही है।
ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाओं की राशि मे लूट पाट और योजनाओं के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते रहने के लगातार आ रहे मामलों के बाद पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े जनप्रतिनिधियो के चेक काटने का अधिकार छिनने के साथ ही ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दे दिया है।
ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया शुरू किए जाने के बाद अब पंचायत के खाते से राशि सीधे एजेंसी के खाते में आएगी।इस पैसे का हिसाब भारत सरकार के ई पोर्टल पर दिखेगा और इस पोर्टल के माध्यम से राशि के खर्च का विवरण पारदर्शी हो जाएगा।प्रति दिन खर्च की जाने वाली राशि का विवरण भी इस पोर्टल पर उपलब्ध रहेगा।
राज्य सरकार द्वारा 15 वें वित्त आयोग की राशि से पंचायतो के विकास के लिए दिए जाने वाली राशि के ऑनलाइन भुगतान अनिवार्य कर दिए जाने के बाद वैसे मुखिया, प्रमुख और ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों की नींद उड़ गई है, जिन्होंने पंचायती राज के पैसे की लूटपाट और रातों रात धनकुबेर बनने का सपना पाले हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में लाखों लाख रुपये खर्च किये थे।
पंचायतो में जनप्रतिनिधियों के चेक काटने का अधिकार छीन कर ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था लागू कर दिए जाने के बाद जिला परिषद, पंचायत समिति, मुखिया और त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था से जुड़े अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए ऐसी व्यवस्था लागू कर दिए जाने से सरकार कोष का नियंत्रण पूरी तरह भारत सरकार के नियंत्रण में आ गया है।
सरकार की नई व्यवस्था से अब पंचायतों के खाते में राशि नही रहेगी।पंचायतो के चल रहे विकास योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जितनी राशि की आवश्यकता होगी उतनी ही राशि एजेंसी उससे जुड़े व्यक्ति को ऑनलाइन भुगतान किया जाएगा।
पंचायतो की शेष राशि सुरक्षित रहेगी और आवश्यकतानुसार सरकार इस राशि को दूसरे जगह भी खर्च करेगी।भोजपुर के जिला पंचायती राज पदाधिकारी जयंत जायसवाल ने शनिवार को बताया कि सरकार की नई व्यवस्था में तहत अब ग्राम पंचायतों में विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में खर्च की जाने वाली राशि का ऑनलाइन भुगतान अनिवार्य कर दिया गया है।उन्होंने बताया कि कुछ ऐसी भी योजनाएं हैं जहां ऑनलाइन भुगतान की अनिवार्यता नही है।