देश की जीवनरेखा गंगा सब दिन जीवनदायिनी रही है। हाल के कुछ वर्षों में गंगा में गंदगी (The Ganga of Bihar will become the lifeline of the country) के कारण गंगा जल का उपयोग करने से लोग परहेज करने लगे थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से अब एक बार जीवनदायिनी गंगा प्राणदायिनी बनने जा रही है।
बेगूसराय के बरौनी में बने खाद कारखाना में
गंगा जल उपयोग किया जाएगा। दूसरी ओर अप्रैल से बेगूसराय जिला के 104 गांव के लोग गंगा का जल पीने के रूप में उपयोग करेंगे। इसके लिए गंगा जल को शुद्ध करके गांव तक पहुंचाया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जलापूर्ति कार्यक्रम के तहत गंगा नदी के सतही तल को शोधकर आर्सेनिक प्रभावित मटिहानी एवं बरौनी प्रखंड के 25 पंचायतों के 104 गांव तक पहुंचाने का अभियान काफी तेजी से चल रहा है।
इसके लिए सिमरिया गंगातट पर बिंदटोली के समीप करीब 182 करोड़ की लागत से 31.8 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण चल रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि 2015 में योजना स्वीकृति के बाद 2017 में जमीन मिला। इसके बाद योजना में हर घर नल जल को जोड़ने तथा एनएचएआई, रेलवे एवं बांध के कारण एनओसी लेने और कोरोना संक्रमण समेत विभिन्न कारणों से विलंब हो गया।

कार्यपालक अभियंता हैदर अली ने बताया
सब कुछ ठीक होने के बाद अब इसे मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य है, इसके बाद अप्रैल से 104 गांव में घर-घर गंगाजल की आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता हैदर अली ने बताया कि उक्त योजना के तहत मार्च तक लाभार्थियों को नल से जल मिलना शुरू हो जाएगा, बांकी बचे लाभार्थियों को बोरिंग या अन्य वैकल्पिक व्यवस्था से भी पानी पहुंचाने का उपाय किया जा रहा है।
सिमरिया में गंगातट किनारे बनाए गए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में एक दिन में 3.2 करोड़ लीटर जल की सफाई होने के बाद 13 जोन के जलमीनार में जाएगा। सिमरिया में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में जुटे अधिकारियों ने बताया कि सिमरिया में गंगानदी से जल लेने के बाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में इसे पीने योग्य बनाने के बाद पाईप से मटिहानी एवं बरौनी प्रखंड के 13 जगह बनाए गए जलमीनार तक पहुंचाया जाएगा।
वहां से लोगों के घर तक नल से घर-घर जल पहुंचाया जाएगा। शुद्ध गंगाजल की आपूर्ति करने के लिए सिमरिया एवं जगतपुरा में मास्टर ईएसआर जलमीनार का निर्माण कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है।
सिमरिया में बने मास्टर ईएसआर जलमीनार से बरियाही, बिंदटोली, सिमरिया, मल्हीपुर, महना एवं केशावे तथा जगतपुरा में बने मास्टर ईएसआर जलमीनार से जगतपुरा, रामदीरी महाजी, सिहमा, मनियप्पा, छितरौर, बलहपुर-दो, बागडोव एवं गोदरगावा के जलमीनार तक पानी जाएगा। इसमें से 11 जलमीनार का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि बलहपुर एवं सिहमा में जलमीनार का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है।
वहीं, गोदरगावा में जमीन मिलने में देरी होने के कारण जलमीनार का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। जल मीनार निर्माण कार्य पूरा हो जाने वाले इलाकों में आपूर्ति शुरू किए जाने के साथ शेष जलमीनार के निर्माण और वैकल्पिक तरीके से पहुंच पानी पहुंचाने की दिशा में काम चल रहा है।
कुल मिलाकर के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से गंगा किनारे के इलाके में जैविक कॉरिडोर बनाकर खेती की जा रही है। जैविक खेती से लोगों को कुछ हद तक शुद्ध भोजन मिल रहा है, गंगाजल पहुंचाए जाने से भोजन और पानी दोनों शुद्ध होगा। वहीं इस बार के बजट में किनारे के पांच किलोमीटर में जैविक खेती पर विशेष बल देने का प्रावधान किया गया है। दोनों कार्य हो जाने से गंगा किनारे के क्षेत्र में तेजी से फैल रहे गंभीर बीमारियों पर रोक लगेगी।
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