मिथिला के सपूत पूर्व रेल मंत्री और बिहार के लाल ललित नारायण मिश्र (Lalit Narayan Mishra) बिहारवासियों को सदैव याद रहेंगे। ऐसे नेता बिरले जन्म लेता है।
लेता भी है अब कि नहीं इसमें भी शक। कारण, जिन परियोजनाओं को उन्होंने सपने में देखा उसे जमीं पर उतारने की कोशिश की, कई योजनाओं को अमली जामा पहनाया, उसमें से अधिकांश (Dream of Mithila’s son Lalit Narayan Mishra caught in shortage of cash) आज भी उनके सपने की आस भी अब शेष नहीं बची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
1970 के दशक में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र द्वारा बरौनी से जयमंगलागढ़ होते हुए हसनपुर तक रेल लाइन बनने का देखा गया सपना एकबार फिर से पेंडिंग में चला गया। रेल लाइन निर्माण के लिए सर्वे हो जाने के बाद आशा थी कि जल्द ही काम शुरू हो जाएगा।
लेकिन दो साल बाद भी इसके लिए कोई फंडिंग नहीं किया गया। समस्तीपुर में आयोजित रेलवे संसदीय समिति की बैठक में सांसद महबूब अली के मामले को उठाया तो रेलवे द्वारा लिखित जवाब दिया गया है कि फंड के अभाव में यह कार्य लंबित है।
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मौजूदा परिवेश में आधारभूत संरचना मजबूती, औद्योगिक विकास और विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं का समग्र संचालन किया जा रहा है। बल्कि, पूर्व की सरकारों में प्रमुख नेताओं की ओर से देखे गए जनकल्याणकारी सपनों को भी पूरा करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, ललित बाबू के सपने घोर उपेक्षित हैं।
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ऐसे में लोगों को निराशा तो हुई, परंतु उम्मीद है कि मामला हाई लेवल पर उठने के बाद कुछ पहल हो जाए। सर्वेक्षण के मुताबिक 45.38 किलोमीटर की इस रेल परियोजना पर करीब 1470 करोड़ रुपया खर्च होने का अनुमान है।
बरौनी जंक्शन से हसनपुर जंक्शन के बीच गौड़ा, तेयाय, भगवानपुर, दहिया, चेरिया बरियारपुर, जयमंगला गढ़ एवं गढ़पुरा में रेलवे स्टेशन तथा मंझौल में हॉल्ट बनाने की योजना है। प्रस्तावित रेलखंड पर एक भी गुमटी नहीं होगा। पांच बड़े पुल, 38 छोटे पुल रेलवे गुमटी के बदले 20 सब-वे एवं दो रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण होगा।
1973 में ललित नारायण मिश्र जब रेलमंत्री बने तो उन्होंने बरौनी से हसनपुर और हसनपुर से सकरी तक रेल लाईन बिछाने का प्रस्ताव रेल मंत्रालय और केन्द्र सरकार को भेजा था। लेकिन जनवरी 1975 में उनकी हत्या के बाद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चल गया। इसके बाद रामविलास पासवान जब केंद्रीय मंत्री बने थे तो उन्होंने हसनपुर से सकरी तक रेलवे लाइन बनवाने का काम शुरू किया जो आधा बन चुका है तथा आगे की प्रक्रिया जारी है।
सब-वे की ऊंचाई सात मीटर रहेगी, ताकि वाहन आसानी से आ-जा सके। जबकि दो रेल ओवर ब्रिज राष्ट्रीय उच्च पथ-28 एवं स्टेट हाईवे-55 पर बनाने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित रेलवे लाइन पहले काबर झील से गुजरने वाली था लेकिन काबर झील में आने वाले देसी-विदेशी पक्षियों के कलरव में रेल परिचालन के कारण उत्पन्न होने वाली बाधा तथा रामसर साइट के अंतरराष्ट्रीय पहचान के मद्देनजर रेलवे लाइन को झील से करीब तीन किलोमीटर दूर बेगूसराय-मंझौल-हसनपुर सड़क के पूर्वी ओर से ले जाया जाएगा।
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इसके बाद बरौनी-हसनपुर परियोजना में सुगबुगाहट शुरू हुई और 2012-13 के रेल बजट में इस रेलखंड के सर्वे का टेंडर पास हुआ तथा बीच में कई झंझबातों सेे गुजरते हुए अब सर्वे का काम पूरा हुआ है। इसके लिए डॉ. भोला सिंह एवं रामजीवन सिंह ने संसद मेंं कई बार सवाल उठाए।
2020 में राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने भी सदन में सवाल कर सर्वेक्षण कार्य को जल्द पूरा करने की मांग की, जिसके बाद सर्वेक्षण कार्य में तेेजी आई और पूरा कर रिपोर्ट भेजा गया। इस रेल लाइन के बनने से ना केवल उत्तरी बिहार के लोगों को आवागमन में सहूलियत होगी। बल्कि बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों का पड़ोसी देश नेपाल से रेल संपर्क आसानी से मिल जाएगा।