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26 जुलाई, 2024
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चंडीगढ़ में बिजली संकट से आपात स्थिति, सेना ने संभाला मोर्चा, सेना की इंजीनियरिंग सर्विस टीमें आपूर्ति बहाली में जुटी, पंजाब-हरियाणा और अब हिमाचल प्रदेश से भी मांगी गई मदद, वर्क फॉर होम, ऑनलाइन पढ़ाई ठप

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केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में बिजली कर्मियों की हड़ताल से मचे हाहाकार के बाद बुधवार को सेना ने मोर्चा संभाल लिया। सेना की इंजीनियरिंग सर्विस टीमें तेजी के साथ बिजली आपूर्ति बहाल करने में जुटी हैं।

एमईएस भारत में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सरकारी रक्षा बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियों में से एक है। यह मुख्य रूप से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय आयुर्विज्ञान कारखानों, डीआरडीओ और भारतीय तट रक्षक सहित भारतीय सशस्त्र बलों के लिए इंजीनियरिंग और निर्माण कार्यों का प्रबन्धन करती है।

बिजली संकट की वजह से शहरवासियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा था। पीजीआई चंडीगढ़, सेक्टर-32 तथा सेक्टर 16 अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुईं। बुधवार को कुछ इमरजेंसी आपरेशन भी नहीं हुए। मंगलवार देररात कर्मचारी नेता सुभाष लांबा और अन्य की गिरफ्तारी से स्थिति गंभीर हुई।

कई दौर की बैठकों के बाद जब बात नहीं बनी तो चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा और पंजाब से सहयोग मांगा। लेकिन दोनों राज्यों के कर्मचारियों ने चंडीगढ़ में जाने से इनकार कर दिया। इस बीच चंडीगढ़ के विद्युत विभाग के चीफ इंजीनियर आज सुबह पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए हाई कोर्ट से दोपहर ढाई बजे तक का समय मांगा।

इस बीच चंडीगढ़ प्रशासन ने सेना की इंजीनियरिंग सर्विस से संपर्क किया। सेना की टीमों ने दोपहर दो बजे चंडीगढ़ पहुंचकर बिजली आपूर्ति सुचारू करनी शुरू कर दी। इस दौरान चीफ इंजीनियर ने हाई कोर्ट में पेश होकर बुधवार शाम तक बिजली और पानी आपूर्ति सुचारू किए जाने का दावा किया।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को पेश होने के लिए कहा था। बिजली कर्मियों की हड़ताल पर चंडीगढ़ हाई कोर्ट को बताया कि रात 10 बजे तक पूरे शहर की बिजली बहाल कर दी जाएगी। अभी तक 80 प्रतिशत बिजली बहाल की जा चुकी है।

सेना का टेक्नीकल विंग बिजली बहाल करने में जुटा है। वहीं, हाई कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह मामला सीधे तौर पर अवमानना का है, जब मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है तो बिजली विभाग के कर्मचारियों का इस तरह हड़ताल पर जाना पूरी तरह से गलत है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई वीरवार तक स्थगित करते हुए कहा है कि पहले पूरे शहर की बिजली बहाल की जाए आगे के आदेश कल दिए जाएंगे।

बिजली विभाग के निजीकरण का बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश के सलाहकार धर्मपाल ने बिजली कर्मचारी संघ के साथ बैठक कर हड़ताल खत्म करने के लिए राजी किया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को डर है कि निजीकरण से उनकी सेवा शर्तों में बदलाव आएगा और बिजली दरों में बढ़ोतरी होगी।

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