
दरभंगा पब्लिक स्कूल (Darbhanga Public School) की हिंदी की शिक्षिका दिव्या चौधरी का हिंदी काव्य संग्रह ‘नारायणी’ का लोकार्पण दरभंगा पब्लिक स्कूल दिल्ली मोड़ 21 मार्च 2022 को संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में चेयरमैन डाॅ. लाल मोहन झा उपस्थित हुए। प्राचार्य डॉ.मदन कुमार मिश्रा, स्कूल प्रबंधक विशाल गौरव, उप प्राचार्य दिव्येन्दु विश्वास एवं सभी शिक्षक गण उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का संचालन डिंपल सारस्वत ने किया। दिव्या चौधरी ने ‘नारायणी’ काव्य संग्रह की एक कविता ‘स्त्री’ को सबके समक्ष लयबद्ध किया।
लेखिका दिव्या चौधरी ने बताया
कि जब वह तीसरी कक्षा में पढ़ती थी, तब से लिखती आ रही है। पहले वह छुप -छुप कर लिखा करती थी। घबराती थी परंतु धीरे-धीरे वह लिखने लगी। उनकी पहली कविता प्रसून मासिक पत्रिका में छपी थी जिसका शीर्षक ‘मां’ था। इसके बाद कई साझा संकलन गद्य एवं पद्य में प्रकाशित हुए। दिव्या चौधरी हिंदी एवं मैथिली में रचनाएं करती हैं।

चेयरमैन डॉ.लाल मोहन झा ने कहा
दरभंगा पब्लिक स्कूल दिल्ली मोड़ में नारायणी के लोकार्पण कार्यक्रम में चेयरमैन डॉ.लाल मोहन झा ने कहा कि “यह पुस्तक नारी को प्रधान बना कर लिखा गया है। इसमें नारी सशक्तीकरण की झलक दिखती है। दिव्या चौधरी एक शिक्षिका के रूप में भी अनुशासित एवं संयमित शिक्षिका हैं।”
चेयरमैन डॉ.लाल मोहन झा ने कहा कि दिव्या चौधरी ने ‘नारायणी’ काव्य संग्रह स्त्री को केंद्र में रखकर लिखा है। इस संग्रह में दिव्या चौधरी ने समाज के विभिन्न पहलू को केंद्र में रखकर लिखा है, जैसे भूख, बाल मजदूरी, तिरंगा, जल संकट, नारायणी इत्यादि। इस काव्य संग्रह में नारी तू अबला नहीं की सार्थकता साफ प्रतिबंब के रूप में उभरती है जो लेखिका की लेखन शैली और उसके मुक्त बोध के सौंदर्य को परिभाषित करती, एक सार्थक संग्रह के रूप में पाठकों के बीच उपस्थित है।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ.मदन कुमार मिश्रा ने कहा
कि “नारायणी नारी के साथ-साथ एक नदी का भी नाम है जो निरंतर बहती रहती है, उसी तरह से दिव्या चौधरी जी प्रवाह के साथ आगे बढ़ती रहेंगी।”
विशाल गौरव ने कहा
कि “दिव्या चौधरी ने ना सिर्फ कविता संग्रह निकाला है बल्कि एक घर बनाया है। जिस तरह तिनका – तिनका जोड़ कर घर बनता है, उसी प्रकार शब्द- शब्द जोड़कर पंक्ति और पंक्ति से कविता और फिर कविता से कविता संग्रह।” अन्य शिक्षकों में प्रतिभा स्मृति ने कहा “दिव्य कलम जब चल पड़ी अवतरित हुई-‘नारायणी’।

डिंपल सारस्वत ने ‘आग’ का किया वाचन
डिंपल सारस्वत ने कार्यक्रम के समापन में नारायणी काव्य संग्रह की एक कविता ‘आग’ वाचन किया। साथ ही साथ प्रतिभा स्मृति और विशाल कुमार एवं विभिन्न शिक्षकों के शब्दों के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
You must be logged in to post a comment.