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25 दिसम्बर, 2024
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संगीत का जो प्रेमी वो किस्मत वाला है…रोम-रोम में माधुर्य के साथ पर्यावरण बचाने की दिखी बच्चों की लयात्मक जिद

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संगीत का जो प्रेमी वो किस्मत वाला है...रोम-रोम में माधुर्य के साथ पर्यावरण बचाने की दिखी बच्चों की लयात्मक जिद

दरभंगा देशज टाइम्स ब्यूरो। संगीत की उत्पत्ति ही प्रकृति से हुई है। इसलिए यह सहजता से मानव मन को छू लेता है। नदियों की कल-कल करती धारा और मंद-मंद बहती पवन भी संगीत सुनाती है। पर आधुनिकता की भागम-भाग में हम प्रकृति से कर गए जिसका परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहा है। इस पर्यावरण-संरक्षण समूहगान में बच्चे संगीत के माध्यम से प्रकृति से जुड़े आयामों को प्रस्तुत करेंगे।

संगीत का जो प्रेमी वो किस्मत वाला है...रोम-रोम में माधुर्य के साथ पर्यावरण बचाने की दिखी बच्चों की लयात्मक जिद

यह बात स्वयंसेवी संस्था डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन व संगीत विभाग, नागेन्द्र झा महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पर्यावरण-संरक्षण समूहगान प्रतियोगिता-2019’ का उद्घाटन करते हुए वरीय प्रो. डॉ. अपर्णा झा ने कही। डॉ. झा ने बताया कि मिथिला के कण-कण संगीत बसता है। यहां तो सुबह भी पराती से होती है और शाम संध्या वंदना से होती है।

समूहगान प्रतियोगिता में जिले के विभिन्न विद्यालयों-महाविद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रथम स्थान पर रहे डीएवी पब्लिक स्कूल दरभंगा के छोटे-छोटे बच्चों ने ‘ये धरती, ये नदियां, ये सितारे है जीवन के सहारे… चलों इसको स्वच्छ बनाएं, चलों इसको स्वच्छ बनाएं… के माध्यम से दर्शकों को मन मोह लिया।

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वहीं दूसरे स्थान पर रहे नागेंद्र झा महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने ‘‘इस दुनियां को अगर बचाना है… पेड़ लगाना है, पेड़ लगाना है, पर्यावरण को स्वच्छ बनाना है…’’ से पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रस्तुत किया। वहीं तीसरे स्थान पर रहे महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के बच्चों ने धरती को हरा-भरा बनाने का संदेश गीत के माध्यम से दिया जबकि चौथे स्थान पर संयुक्त रूप से एमएलएसएम कॉलेज व दरभंगा रॉक्स की टीम ने कब्जा जमाया।

फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने बताया, फाउंडेशन पर्यावरण संरक्षण में युद्ध स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम की परिकल्पना भी उसी की देन है। सभी सफल प्रतिभागियों को आगामी चार फरवरी को पुरस्कृत किया जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए नागेंद्र  झा महिला महाविद्यालय के संगीत विभाग के शिक्षक डॉ. पुष्कर कुमार झा ने कहा कि संगीत मन को छू लेने वाला माध्यम है और इसी को ध्यान में रखते हुए इसके माध्यम से प्रकृति के संरक्षण का उपाय बच्चों ने सुझाया है।

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कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के वरीय शिक्षक डॉ. महादेव झा ने किया। प्रतियोगिता में तबले पर संगत महाविद्यालय के हीरा झा ने दिया। हारमोनियम का वादन डॉ. पुष्कर झा ने किया। वहीं निर्णायक मंडल में डॉ. अर्चना चौधरी व वीणा मिश्रा शामिल थी। मौके पर डॉ. ममता रानी, विद्या विकास झा, कंचन कुमारी, राजकुमार गणेशन, अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद, भगवान जी, उदय कुमार समेत अन्य उपस्थित थे।

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