सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को 2 हिस्सों में बांटने के खिलाफ याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई करेगा।
5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेट्स को खत्म कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। उसके बाद से राजनीतिक हालात अस्थिर हो गए थे। ज्यादातर बड़े नेता नजरबंद रहे। कुछ को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत जम्मू और कश्मीर के बाहर जेलों में भेज दिया गया।
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आज वरिष्ठ वकील शेखर नफड़े और पी चिदंबरम ने चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की, जिसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि मामला जुलाई में लगाने की कोशिश की जाएगी।
शेखर नाफड़े और पी चिदंबरम ने विधानसभा सीटों के परिसीमन का मसला उठाते हुए याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि इस अनुच्छेद को हटाने के बाद केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने राज्य की सभी विधानसभा सीटों के लिए एक परिसीमन आयोग बनाया है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीर के स्थायी निवासियों के लिए भी भूमि खरीदने की अनुमति देने के लिए जम्मू एंड कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट में संशोधन किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर महिला आयोग, जम्मू-कश्मीर अकाउंटेबिलिटी कमीशन, राज्य उपभोक्ता आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोग को बंद कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च, 2020 को अपने आदेश में कहा था कि इस मामले पर सुनवाई पांच जजों की बेंच ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने मामले को सात जजों की बेंच के समक्ष भेजने की मांग खारिज कर दी थी।