राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवाने का काम करेगा। इसके लिए संघ ने स्वावलम्बी भारत अभियान शुरू किया है। इसका जिम्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच को सौंपा है।
इसके तहत स्वदेशी जागरण मंच, भाजपा, एबीवीपी, बीएमएस समेत 11 संगठन मिलकर योजना बनाने में जुटे हैं। वहीं,देश को बीपीएल मुक्त करने और 100 प्रतिशत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
संघ ने मार्च 2022 में कर्णावती में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भारत को स्वावलम्बी बनाने के लिए कार्यों के अवसर बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव को अमल में लाने के लिए स्वदेशी जागरण मंच अन्य संगठनों के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार कर रहा है। स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय कुमार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रचार प्रमुख नरेंद्र सिंह इस कार्य में जुटे हैं।
अवध प्रांत, काशी प्रांत और गोरक्ष प्रांत में स्वावलम्बी भारत अभियान की कार्यशाला हो चुकी है। देश का नौजवान आज काम की तलाश में भटक रहा है। उसे रोजगार संपन्न बनाना इस अभियान का उद्देश्य है। स्वावलम्बी भारत अभियान के माध्यम से युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा और गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे परिवारों को बाहर निकालने का काम किया जाएगा। जो युवा अपना स्वयं का रोजगार शुरू करना चाहते हैं उन्हें बैंक से लोन दिलवाने और प्रशिक्षण दिलाने का भी काम किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, स्वदेशी जागरण मंच संघ से जुड़े जन संगठनों और आर्थिक संगठनों समेत कुल 11 संगठनों को मिलाकर संयुक्त योजना बना रहा है। संघ ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, मानवशक्ति की विपुलता और उद्यमकौशल के चलते भारत अपने कृषि और सेवा क्षेत्रों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को उच्च स्तर पर ले जाने की क्षमता रखता है। इसलिए स्वदेशी मॉडल के आधार पर मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, ग्रामीण अर्थव्यवथा, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों का विकास होना चाहिए। इसमें महिलाओं की भी भागीदारी होनी चाहिए।
युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलम्बी बनाने के लिए स्वदेशी जागरण मंच प्रांत स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। इन कार्यशालाओं में स्वदेशी जागरण मंच के अलावा भाजपा, विश्व हिन्दू पषिद (विहिप), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), वनवासी कल्याण आश्रम, लघु उद्योग भारती, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस),
किसान संघ, सहकार भारती, ग्राहक पंचायत और सेवा भारती के प्रांत स्तर के पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। स्वावलम्बी भारत अभियान के माध्यम से संघ ने देश को बीपीएल मुक्त करने तथा 100 प्रतिशत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य लिया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए संघ देश में स्वरोजगार, स्टार्टअप इंडिया, एफपीओ, प्राकृतिक खेती, देशी गौसंवर्धन, क्लस्टर डेवलपमेंट एवं परिवार आधारित उद्योगों का विकास करेगा।
संघ ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि युवाओं में उद्यमिता को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि वे केवल नौकरी पाने की मानसिकता से बाहर आ सकें। इसी प्रकार की उद्यमशीलता की भावना को महिलाओं, ग्रामीणों, दूरस्थ और जनजातीय क्षेत्रों में भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
संघ ने कहा है कि समाज में ‘स्वदेशी और स्वावलम्बन’ की भावना उत्पन्न करने के प्रयासों से उपर्युक्त पहलों को प्रोत्साहन मिलेगा। शिक्षाविद्, उद्योग जगत के पुरोधा, सामाजिक नेतृत्व, समाज संगठन तथा विविध संस्थान इस दिशा में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।
इससे पहले इसी मार्च में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कर्णावती के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की में देश में एक ऐसा आर्थिक मॉडल विकसित करने के लिए आग्रह किया था जिसके अंतर्गत मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार के अधिक अवसर निर्मित हो सके।
इससे कुटीर एवं लघु उद्योगों का ग्रामीण इलाकों में विस्तार किया जा सके। संघ के ये स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर अर्थतंत्र के ये विचार, दर्शन, कार्यक्रम एवं इतिहास प्रारंभ से ही सशक्त एवं सुदृढ़ राष्ट्र-निर्माण का आधार रहे हैं। संघ का भारत की आजादी एवं इसके नवनिर्माण में अभूतपूर्व योगदान रहा है और अब भारत को समग्र दृष्टि से विकसित करने के लिए संघ प्रयासरत है, जो एक सुखद आश्चर्य का विषय है, जिस पर समग्र राष्ट्र को बिना किसी आग्रह, पूर्वाग्रह एवं दुराग्रह के आगे बढ़ना चाहिए।
संघ का स्पष्ट मतव्य है कि मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, श्रम प्रधान तथा विकेंद्रीकरण एवं लाभांश का न्यायसंगत वितरण करने वाले भारतीय आर्थिक मॉडल को विकसित किया जाना चाहिए, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों को विकसित करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनाया जा सके।
ग्रामीण रोजगार, असंगठित क्षेत्र एवं महिलाओं के रोजगार और अर्थव्यवस्था में उनकी समग्र भागीदारी जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देना संघ के इस आर्थिक सोच का उद्देश्य है। संघ चाहता है कि देश की सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप नई तकनीकी तथा कौशल विकास को अंगीकार करके आर्थिक क्षेत्र में नए उजाले किए जाए।
संघ का नया आर्थिक मॉडल माध्यम है एक सशक्त भारत के निर्माण को प्रभावी प्रस्तुति देने का। यह एक दस्तक है, एक आह्वान है जिससे न केवल सशक्त भारत का निर्माण होगा, बल्कि इस अनूठे काम में लगे संघ और उसके आर्थिक मॉडल से भारत के असंख्य युवाओं की आर्थिक समस्याओं एवं बेरोजगारी की समस्या से मुक्ति मिल सकेगी।
बदलती आर्थिक तथा तकनीकी परिदृश्य की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए भी हम सभी को मिलकर सामाजिक स्तर पर नवोन्मेषी पद्धतियां ढूंढ़ने की आवश्यकता है। उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं निर्यात की संभावनाओं से उत्पन्न रोजगार और उद्यमिता के अवसरों का गहन अन्वेषण भी किया जाना चाहिए। इन्हीं सब जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संघ ने नये आर्थिक मॉडल पर गहन चिन्तन-मंथन किया है।