
दलसिंहसराय पुलिस (Dalsinghsarai Police) का कारनामा पूरा बिहार देखेगा, पढ़ेगा, कार्यशैली, उसकी दबंगता, उसके चरित्र पर चर्चा भी करेगा। हमें, सुधार की चाहत भी है तो कानून-व्यवस्था के सही पालन की उम्मीद भी, क्योंकि बड़ा सवाल है आखिर कैसे जेल में बंद आरोपी बन गया हत्यारोपी।
सुनकर खुद वह तंत्र शर्मसार है जिससे न्याय की उम्मीद संपूर्ण बिहार के आवाम को है। मगर, दलसिंहसराय की पुलिस ने जो किया, वह पढ़ने में भले बड़ी बात ना लगे, मगर जिसपर गुजरी है उसकी जिंदगी का एक-एक पल बेहद कठिन जरूर हैं।
आखिर, कितना मजेदार है दलिसिंहसराय पुलिस का पर्यवेक्षण और अनुसंधान! इसकी परत-दर-परत खोल रहे हैं देशज टाइम्स के अपराध ब्यूरो प्रमुख संजय कुमार राय। इस मामले में सबसे अहम है, आरोपी प्रदुम्न के वकील शोभाकांत झा से हुई बातचीत के वह अंश यानी वह ऑडियो जो पूरी सच्चाई से एक-एक कर रहस्य को उजागर कर रहा है। आखिर, कहां पुलिस ने किया खेल। इसमें दलसिंहसराय के कनिष्ठ (junior) से लेकर वरिष्ठ (senior) तक की कारगुजारी कैसे सामने सच के सामने खड़ा है। इसका खुलासा हम यहां कर रहे हैं। पढ़िए देशज टाइम्स के अपराध ब्यूरो प्रमुख Sanjay Kumar Rai की Exclusive Report
पुलिस के एक से एक कारनामे उजागर होते रहते है। इसी कड़ी में एक कारनामा दलसिंहसराय पुलिस का ऐसा उजागर हुआ है, जेल में बंद आरोपी को पुलिस ने एक हत्या के मामले में दोषी करार दे दिया है।
ऐसा प्रतीत होता है, पुलिस वाले घटना स्थल पर जाते नहीं हैं। घर बैठे उनका अनुसंधान और पर्यवेक्षण कर देते हैं। कारण जो साक्ष्य देशज टाइम्स के पास उपलब्ध है उसके मुताबिक, दलसिंहसराय के वार्ड नंबर आठ के बादशाह खान ने प्रदुम्न महतो, अमन कुमार एवं गुंजन झा पर मोबाइल चोरी को लेकर स्थानीय थाना में एक प्राथमिकी दर्ज (348/19) कराई थी।
इस मामले में पुलिस ने तीनों आरोपी को जेल भेज दिया था। कुछ महीने बाद दो आरोपी को न्यायालय से जमानत मिल गई। वहीं गरीबी से लाचार प्रदुम्न की जमानत करीब एक वर्ष दो महीने बाद मिली। यानि प्रदुम्न आठ दिसंबर 2019 को जेल गया था और 19 जनवरी 21 को वह जमानत पर बाहर आया।
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उसके जेल में रहते दलसिंहसराय थाना में दोहरा हत्या कांड को लेकर 14 नवंबर 20 को अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध एक मामला 342/20 अंकित किया गया। उस वक्त थानाध्यक्ष पद पर प्रवीण कुमार मिश्रा थे। इस मामले में अनुसंधानकर्ता एवं पर्यवेक्षणकर्ता ने जेल में बंद प्रदुम्न को आरोपी बनाते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दिया।
मजेदार बात यह है
कि 14 नवंबर 20 को हत्या को लेकर प्राथमिकी थाने में दर्ज हुई थी, जबकि जेल से प्रदुम्न को जमानत इस घटना के तीन माह बाद यानि 19 जनवरी 21 को मिली थी।
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अब सवाल उठता है
कि दलसिंहसराय की पुलिस क्या घर बैठे ही अनुसंधान या पर्यवेक्षण करती है या फिर मुख्य आरोपी को बचाने के जेल में बंद आरोपी को आरोपी बनाकर अपना पल्ला झाड़ रही है। इन दोनों ही परिस्थितियों में ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस की कार्यशैली इन दिनों मोटी कमाई को लेकर यह तक भूल जाती है कि जेल में बंद आरोपी को ही कुसूरवार मान ले।
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साइकिल चोरी के आरोप में आरोपी जेल में बंद है, लेकिन उसे दलसिंहसराय थाना के एक मामले में उसे अनुसंधानक ने हत्या का आरोपी बना दिया। यह कैसे संभव है और कैसे इसी सवाल के साथ देशज टाइम्स की यह रिपोर्ट है। उसके साक्ष्य हैं। यही नहीं वहां की पुलिस के आलाधिकारी भी इस मामले को सत्य करार दे दिया है।
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फिर से अब यही सवाल उठता है कि क्या कैदी जेल से बाहर जाकर हत्या कर वापस पुनः जेल में आ गया क्या? इस खबर के उजागर होते ही सभी पुलिस पदाधिकारियों के होश उड़ जाएंगें, यह तय है। इसका प्रमाण यही है, इस बाबत दलसिंहसराय थानाध्यक्ष ब्रजेश कुमार से जब उनके मोबाइल नंबर 9431822518 पर बात करने की कोशिश की गई। इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने सीधे चुप्पी साध ली। हां ना में भी जवाब नहीं दिया और फोन रख दिया।
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