बिहार के कैमूर जिले में न्यायालय के जीआर ऑफिस में पेशकार संजय सिंह के पुत्र और बीटेक छात्र दरभंगा जिला के जमालपुर थाना क्षेत्र के परसरमा गांव निवासी 22 वर्षीय हर्षित प्रियदर्शी ने इंटरनेट बंद होने की वजह से तनाव में आकर आत्महत्या कर ली।
छात्र के ऑनलाइन एग्जाम चल रहे थे लेकिन वह अचानक नेट बंद हो जाने की वजह से परीक्षा में शामिल नहीं हो पाया था। वह माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्य के साथ किराए के मकान में रह रहा था। वह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में सेमेस्टर छह का परीक्षार्थी था। उसकी ऑनलाइन परीक्षा चल रही थी।
इसी तनाव के कारण उसने खुदकुशी कर ली। इसके अलावा दूसरा कोई कारण नहीं है। उन्होंने बताया कि वह छोटे बेटे को लेकर पटना गए थे। उसका पटना के कोचिंग सेंटर में एडमिशन कराना था।
पिता ने आगे बताया कि पटना से अहले सुबह में लौटे, तो हर्षित के कमरे का दरवाजा बंद था। मैंने सोचा सो रहा होगा। लेकिन, देर हुई तो आवाज लगाई। दरवाजा खटखटाया गया। लेकिन, अंदर से कोई गतिविधि का अहसास नहीं हुआ और न उसकी आवाज सुनाई पड़ी। सीढ़ी लगाकर रोशनदान से झांका तो देखा कि गले में रस्सी का फंदा लगाकर पंखे से झूला है। इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव को कमरे से बाहर निकाला। अब पढ़िए ताजा क्या है…
आरा में युवक शंकर प्रकाश ने उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज कराया है। अदालत ने उसके केस को स्वीकार कर लिया है। शंकर प्रकाश का कहना है कि उसने मोबाइल कंपनी से जो डाटा पैक लिया था उसमें 28 दिनों तक हर रोज एक जीबी डाटा खर्च करने की सुविधा दी गयी थी। सरकार ने चार दिनों तक इंटरनेट पर रोक लगा दिया। ऐसे में वह चार दिनों तक कोई डाटा खर्च नहीं कर पाया।
शंकर के अनुसार, इसमें उसका कोई दोष नहीं है। मोबाइल कंपनी ने इंटरनेट बंद किया। इससे उपभोक्ता का नुकसान हुआ। अब मोबाइल कंपनी इसकी भरपाई करे। उपभोक्ता न्यायालय में केस दर्ज हुआ है, लेकिन सुनवाई होनी बाकी है। बिहार में बीस जिलों में इंटरनेट के उपयोग पर रोक लगा दिया था। इससे तकरीबन चालीस लाख इंटरनेट उपभोक्ता प्रभावित हुए थे। अब शंकर प्रकाश इंटरनेट पर रोक का मुआवजा मोबाइल कंपनी से मांग रहा है।