हनुमाननगर, देशज टाइम्स संवाददाता। हनुमाननगर प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली बागमती व उसकी सहायक नदियों से स्थानीय लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है। इसकी विभीषिका से लोगों का साल भर का जीवन एक माह में तबाह हो जाता है।
मगर निजात की पहल अब तक सार्थक तरीके से नहीं हो पाया है। इससे स्थानीय लोगों की उम्मीदें एकबार फिर उन रहनुमाओं की ओर टकटकी लगाए है जहां से उन्हें उम्मीद है, इस बार बाढ़ में शायद उसका समाधान होता दिखे। पढ़िए पूरी खबर, क्या है ताजा मामला।
निजात दिलाने के लिए एकबार मामला विधान परिषद में उठा है। यहां एमएलसी सर्वेश कुमार ने विधान परिषद में
जलसंसाधन विभाग के मंत्री से तारांकित प्रश्न पूछा है। इसके जवाब में विभागीय मंत्री संजय कुमार झा ने यह स्वीकार किया है कि पूरा हनुमाननगर प्रखंड क्षेत्र वर्षों से बाढ़ में डूबने को अभिशप्त है।
बाढ़ अवधि में जान-माल की क्षति की संभावना हर पल बनी रहती है। लेकिन सदस्य के क्षेत्र में रबी फसल नहीं होने के सवाल पर मंत्री ने बाढ़ उपरांत अच्छी रबी फसल होने की बात कही है। खरीफ फसल के बारे में मंत्री ने कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि बागमती नदी के बाएं किनारे एवं अधवारा समूह नदी के दाएं किनारे पर कोई बांध निर्मित नहीं है। जिसके कारण जैसे ही नदी में जलस्तर बढ़ता है, पूरा इलाका जलाप्लवित हो जाता है।
इन दोनों नदियों के बीच के इन क्षेत्रों में रक्सी नाला, पोअरिया नाला एवं नरसारा नाला भी बहता है। जो हायाघाट के अपस्ट्रीम में अधवारा समूह में जाकर मिल जाता है। लेकिन फिर भी पटोरी, गोढैला, रुपौली, गोदाईपट्टी, मोरो, डघरौल, बिशौल आदि गांव के चौर में बाढ़ के बाद भी जलजमाव की शिकायत लगातार मिलती रही है। जिसके कारण निचले क्षेत्रों में रबी फसल की बुआई या तो नहीं हो पाती है या फिर बहुत ही देर से होती है।
इस क्षेत्र के लोगों को बाढ़ व जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए जलसंसाधन विभाग की ओर से बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज V(a) के अंतर्गत इन क्षेत्रों में बाढ़ समस्या के निदान के लिए बागमती नदी के बाएं तटबंध के 89.08 से 110.96 किलोमीटर तक तटबंध निर्माण कार्य का कार्यवंटन किया गया है।