तिल को आप तार बना दें या फिर तार को तिल। चर्चाएं जोर-शोर से हो रही है कि सरकार पलटने वाली है।…और नीतीश जी को इसलिए लोग पलटूराम भी कहने से नहीं हिचकते रहे हैं।
दरअसल, आरसीपी सिंह को जेडीयू से बनी दूरी और जेडीयू की ओर से आरसीपी पर घोटाले घपले का आरोप ही नए सियासत में रंग भर दिया। पार्टी में सियासत करने वाले लोग अपनी चर्चाओं पर जोर दे दिए। नतीजा यह निकला कि राजनीति का रंग बदलने लगा।
तय है, बिहार की सियासत अब करवट ले चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में चर्चा होती रहती है कि वे जिद्दी हैं। और जिद्द को पूरा करने के लिए किसी हद से गुजर जाते हैं। ऐसा अब लग रहा है कि महागठबंधन के पाले में जेडीयू जा सकती है।
पल-पल में समीकरण बदलते जा रहे हैं। चर्चा है कि बीजेपी के 16 मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं। इसमें 14 मंत्री हैं। दो उपमुख्यमंत्री के नाम शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी की मंत्रियों ने अगर इस्तीफा दिया तो कोई शक नहीं कि महागठबंधन की सरकार बिहार में बन जाएगी।
मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही होंगे। और, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होंगे। इसमें उपमुख्यमंत्री के तौर पर एक नाम और शामिल हो सकता है। हालांकि, वह नाम अभी तय नहीं है और खुलकर सामने नहीं आया है लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम यही संकेत दे रहा कि हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी की भी भूमिका इसमें बड़ी होगी। हालांकि, हम अभी दोनों नाव पर सवार है। जदयू-राजद के साथ भाजपा से भी उसके संपर्क तार अभी तक जुड़े ही हैं। ऐसे में, आम लोगों की नजर सिर्फ नीतीश कुमार पर है कि वे अब क्या करेंगे!
सभी दलों ने बैठक कर अपना निर्णय सर्वसम्मति से ले लिया है। और, सहमति पत्र भी राजद के आला राबड़ी देवी को सौंप दिया है। अब चर्चा है कि राजद और जेडीयू दोनों के शीर्ष नेताओं में एक बार बात चित होगी। चाचा और भतीजा एक साथ गले मिलेंगे। इसके तुरंत बाद घोषणा भी कर सकते हैं। हाई प्रोफाइल बैठकें अभी भी जारी है। बस नतीजे का इंतजार है।
आज का जो दृश्य पटना का है। वह दृश्य आज से पहले कभी नहीं देखा था। सियासत के लिए रंग में इतना जोश उसमें भी राजद वामदल और कांग्रेस के कार्यकर्ता और विधायक में देखने को मिल रहा था।
एक जोश जगा, उम्मीद बढ़ी, और सारे विधायक और सांसद पटना पहुंच गए। इधर, जेडीयू की तो अपनी अलग चाल है वह तो इस खेल का वैसा खिलाड़ी है जिसके हर चाल पर विपक्षियों की नजर है !ये चारों दल अपने अपने विधायक और सांसद को लेकर गोपनीय बैठक कर रहे हैं। राजद ने तो अपने विधायक और सांसदों को बैठक में मोबाइल तक ले जाने के लिए रोक लगा दी ताकि कोई भी बात लीक नहीं हो सके। सभी देख रहे हैं सोच भी रहे हैं और मन ही मन पुलाव भी पका रहें है कि कब सत्ता के अंग हम बने?
अब इन सभी बातों में एक अलग बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक अपने मुंह से कोई ऐसी बात नहीं कहीं है कि सत्ता परिवर्तन की बात हो। बीजेपी ने सभी विधायक और सांसद को दिल्ली बुला लिया यही नहीं राज्यपाल भी दिल्ली प्रवास पर है। अब एक सवाल यहां उठना लाजमी है कि बिना राज्यपाल के यह परिवर्तन कैसे संभव है?
इधर, मुख्यमंत्री श्री कुमार ने कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह से काफी देर बातचीत की है। ऐसी स्थिति में बीजेपी कभी यह नहीं चाहेगी कि बिहार में सत्ता परिवर्तन हो। कहीं ऐसा तो नहीं है कि श्री साह ने मुख्यमंत्री की सभी मांगों पर मुहर लगा दिया हो। अगर ऐसा हो गया होगा तो विपक्ष की सारी तैयारी धरी की धरी रह जाएगी। और, शासन सत्ता मुख्यमंत्री जी चलाते रहेंगे। और पहले की तरह सब मुंह देखते रह जाएंगे! ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद मात्र मोहरा भर थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बहाने सोनिया गांधी से भी बात कर बीजेपी पर दबाव बनाया। विपक्षी को लामबंद करने के बाद यह दबाव भाजपा पर और भी बढ़ गया। लेकिन इतना खेल के बाद भी कहीं ऐसा नहीं हो कि पूर्व की भांति सरकार चलती रहें और सारे के सारे दल ख्वाब को देखते रह जाए।
हां, इसमें दूसरा पहलू यह जरूर है कि पूर्व सांसद श्री सिंह को भाजपा आगे कर जेडीयू के कुछ विधायकों को तोरकर बीजेपी के पाले में ला दे, जेडीयू को तोड़ने का प्रयास करें और इसी बात का डर जेडीयू को भी है। इस कारण जेडीयू ने ऐसी चाल चली कि बीजेपी के छक्के छूट गये।
ऐसी परिस्थितियों में बीजेपी का सरकार बनना नामुमकिन है। इस कारण ऐसी हवा बही कि बिहार में राजनीति अलग मोड़ पर आकर खड़ी है। अब दिलचस्प बात यह है कि क्या वास्तव में बिहार करवट लेगी, हलचल से तो यही पता चलता है। महागठबंधन तो पूर्ण रूप से नये सरकार के गठन को लेकर उत्साहित है लेकिन इनकी मनोदशा फिर वहीं के वहीं टिकी ना रह जाए।
इधर, महागठबंधन के सभी नेताओं ने अपना समर्थन पत्र राजद को सौंपा है। चर्चा है कि इस समर्थन पत्र के साथ सभी नेता पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पास पहुंचकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति जता दी है। अब देखना यह है कि ऊंट किस करवट बैठेगा!