बीजेपी में शामिल होने का ऐलान करते हुए जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर जमकर हमला बोलते कहा, वो सात जन्म में भी पीएम नहीं बन सकते।
आरसीपी यहीं नहीं रुके कहा कि वो बीजेपी जॉइन करेंगे। नीतीश कुमार के पीएम उम्मीदवार वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि सात जन्म में भी नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं। कहा कि नीतीश कुमार झूठ बोल रहे हैं। नीतीश कुमार की सहमति से ही वो केंद्र में मंत्री बने थे। इस बात की जानकारी ललन सिंह को भी थी। आरसीपी सिंह ने कहा कि अब इस पार्टी में कुछ नहीं बचा है, जेडीयू डूबता हुआ जहाज है। हमसे चिढ़ है, तो हमसे निपटो, हमारे पास विकल्प खुले हुए हैं।
आरसीपी ने कहा कि यही तो सोचिए, बिना उनकी अनुमति के मैं शपथ ले लेता। नीतीश कुमार भी जानते थे और जो अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं वो भी जानते थे। कोई खुल्लमखुल्ला सफेद झूठ बोलते हैं तो क्या करूं। मैं मंत्री बना 31 जुलाई को इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक क्यों बुलाई गई? क्योंकि एक व्यक्ति एक पद के कारण मैंने पद छोड़ दिया था। 31 जुलाई 2021 का राष्ट्रीय अधिवेशन का वीडियो देख लीजिएगा। सब मुझे बधाई दे रहे थे। जितने पार्टी के मंत्री ने मुझे बधाई दी। सबकी सहमति से बना था। वो सरासर झूठ बोल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, जेडीयू ने बीजेपी पर आरसीपी के जरिए पार्टी में तोड़फोड़ का आरोप लगाते हुए एनडीए गठबंधन से अलग हो गए थे। वह आरजेडी के सहयोग से 8वीं बार सीएम पद की शपथ ली।
कभी आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के दांया हाथ माने जाने थे। आरसीपी सिंह ने छह अगस्त को जेडीयू से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नालंदा में अपने गांव मुस्तफापुर में इस्तीफे का ऐलान किया था। दरअसल जदयू ने उन्हें राज्यसभा भेजने से इनकार कर दिया था। जिसकी वजह से उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। मंत्री पद से इस्तीफा देने के जब वह पटना पहुंचे थे तो उन्होंने कहा था कि वह शांत नहीं बैठेंगे। मैं जमीन का आदमी हूं, संगठन का आदमी हूं और संगठन में काम करूंगा।
2016 में जेडीयू ने दोबारा आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेजा और राज्यसभा में पार्टी का नेता भी मनोनीत किया। वहीं नीतीश कुमार ने जब जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा तो आरसीपी सिंह को ही पार्टी की कमान सौंपी गई।
ऐसा कहा जाने लगा था कि नीतीश के बाद जेडीयू में वो नंबर दो की हैसियत वाले नेता हैं। लेकिन 2019 में मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने के बाद उनके रिश्ते में दरार आने लगी। जेडीयू ने तीसरी बार आरसीपी को राज्यसभा पहुंचने का मौका नहीं दिया, जिसके चलते उन्हें मोदी कैबिनेट छोड़ना पड़ा।