बिहार की महागठबंधन सरकार में मंत्री बनने के बाद से लगातार विवादों में चल रहे कार्तिकेय सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे बिहार की महागठबंधन सरकार को तगड़ा झटका लगा है। राज्य के मंत्री कार्तिकेय सिंह ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कई संकेत दिए। साथ ही बीजेपी पर जमकर हमला बोला। पढ़िए पूरी खबर
उन्हें राज्य के गन्ना उद्योग मंत्री का प्रभार सौंपा गया था। इससे पहले वे कानून मंत्रालय संभालते थे। उन्हें बुधवार सुबह ही कानून मंत्रालय से हटाकर गन्ना उद्योग विभाग का मंत्री बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने पद छोड़ने का ऐलान कर दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी। कार्तिक कुमार अब राज्य मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहे। गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है।
बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने भी उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। बिहार के राजस्व मंत्री आलोक कुमार मेहता को गन्ना उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। कार्तिकेय से प्रभार लेने के बाद सीएम नीतीश ने कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी शमीम अहमद को सौंप दी थी। शमीम अहमद इससे पहले बिहार सरकार के गन्ना -उद्योग मंत्री थे।
कार्तिकेय कुमार सिंह के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज है और इसी वजह से कोर्ट ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था और 16 अगस्त को सरेंडर करने के लिए कहा था। विवाद उस समय उठा जब बाहुबली कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) को सरेंडर कराने के बजाय उसी दिन कानून मंत्री पद की शपथ दिला दी गई थी।
जानकारी के अनुसार, महागठबंधन सरकार को बने अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है और सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इससे पहले राजद के बिहार में सीबीआई एंट्री को बैन करने की बात पर भी मुख्यमंत्री ने कहा था कि पता नहीं कौन क्या-क्या बोलता है। अब राजद कोटे के मंत्री कार्तिकेय सिंह के इस्तीफे से लगता है कि महागठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इधर,बीजेपी ने तंज कसा है। सुशील मोदी ने कहा कि अभी एक विकेट गिरा है, आगे और गिरेंगे।
वहीं, कार्तिकेय कुमार ने इस्तीफे के बाद बीजेपी पर जमकर हमला बोला। कहा-बीजेपी को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि आरजेडी कोटे में भूमिहार समाज से किसी को मंत्री बनाया गया है। वे बार-बार मेरी छवि धूमिल करने के लिए तरह-तरह की तरकीबें सोच रहे थे। इससे मेरी इमेज तो खराब हो ही रही थी, लेकिन साथ-साथ पार्टी और मेरे नेता की भी छवि धूमिल हो रही थी। इससे बेहतर मैंने इस्तीफा देना समझा। आज अपहरण केस की कोर्ट में सुनवाई भी होने वाली है। फैसला आ जाने के बाद सरकार में मुझे जो भी ज़िम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाने के लिए मैं तैयार रहूंगा।