दरभंगा, देशज टाइम्स। जिला उद्योग केंद्र दरभंगा की ओर से जिला उद्योग केंद्र परिसर में उद्योग विभाग की ओर से संचालित योजनाओं के लिए जिला स्तरीय ऋण वितरण शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के 41, मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति,जनजाति/अति पिछड़ा वर्ग/ महिला/ युवा उद्यमी योजना के 15 आवेदक को जिलाधिकारी राजीव रौशन ने उप विकास आयुक्त अमृषा बैंस के साथ अग्रणी बैंक प्रबंधक अजय कुमार सिन्हा एवं महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र की ओर से ऋण का चेक चयनित आवेदकों को प्रदान किया। ऋण की कुल राशि लगभग 05 करोड़ रुपए है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने आवेदकों एवं बैंक प्रबंधकों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राप्त ऋण की राशि का सही उपयोग करते हुए चयनित आवेदक अपना उद्यम व रोजगार खड़ा करें और इसे आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां उद्यम क्यों आगे नहीं बढ़ पाता है।
कहा कि हमारा विश्वास, हमारी कार्य संस्कृति को सुदृढ़ करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि यहीं के लोग अन्य राज्यों में जाकर उस अनुशासन उस कार्य संस्कृति का पालन करते हैं और अपने उद्यम के साथ आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन जब अपने यहां करते हैं तो उस कार्य संस्कृति और अनुशासन का पालन नहीं कर पाते। इसे समझना होगा।
उन्होंने कहा कि कार्य संस्कृति का तात्पर्य है समयबद्धता, अनुशासन, मार्केट की दिशा को समझना उस दिशा में अपने को ले जाना। उन्होंने कहा कि अपने उद्यम को आगे बढ़ाने के लिए अपनी कार्य संस्कृति और अनुशासन को सुदृढ़ करना होगा समय के साथ बदलाव लाना होगा, बाजार की दिशा को समझना होगा, तभी यहां के उद्यमी आगे बढ़ पाएंगे।
उन्होंने बैंक प्रबंधकों को कहा कि बिहार में ऋण प्रदान करने की गति धीमी रही है। वहीं गुजरात एवं महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्य, जो समुंद्र के किनारे अवस्थित हैं, वहां जितना ऋण प्रदान किया जाता है, कम से कम उतना बिहार में भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वहां (सीडी रेश्यो) साख जमा अनुपात 60 प्रतिशत है।
वहीं बिहार में 40 प्रतिशत है। एक रोजगार से दूसरा रोजगार उतपन्न होता है। हमारे बैंकों को इसके लिए आगे आना होगा, तब ही यहाँ की अर्थव्यवस्था सुदृढ होगी। उन्होंने कहा कि बैंकों को भी अपने कार्य संस्कृति में बदलाव लाने की जरूरत है, कार्य संस्कृति से तात्पर्य है कि समय पर आवेदन का निष्पादन किया जाए। इस अवसर पर ऋण प्राप्त करने वाले आवेदकों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। उनकी आंखों में आशा की किरण नजर आ रही थी। शायद इनमें से कोई आगे चलकर एक बड़ा उद्योग स्थापित करने में सफल हो सके।
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