ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग के लिफाफे और हाल ही में अवैध खनन और मनी लाउंड्रिंग केस में ईडी द्वारा समन किए जाने के बाद मुश्किलों में घिरे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए सोमवार की दिन बड़ी राहत लेकर आया।
सुप्रीम कोर्ट ने माइनिंग लीज़ मामले में झारखंड हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ चल रही सुनवाई निरस्त कर दी है। राज्य सरकार ने सोरेन को मिले माइनिंग पट्टे के मामले में जनहित याचिका स्वीकार किए जाने का विरोध किया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मामले में ईडी की तरफ से की जा रही जांच पर खास फर्क नहीं पड़ेगा। पढ़िए पूरी खबर
शेल कंपनी और अवैध खनन मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच नहीं होगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त मामलों में दायर जनहित याचिका को मेंटनेबल यानी सुनवाई योग्य नहीं माना है। हालिया कुछ दिनों में ये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए बड़ी राहत है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने फैसला सुनाया।
3 जून को झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर याचिका के सुनवाई योग्य होने के मामले पर फैसला सुनाया था। झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया था कि याचिका दाखिल करते समय झारखंड हाई कोर्ट की नियमावली का पालन नहीं किया गया है।
झारखंड सरकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने झारखंड हाई कोर्ट में हेमंत सोरेन के खिलाफ याचिका दायर की है उसके पिता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक केस में गवाह थे। उस मामले में शिबू सोरेन को सजा मुकर्रर की गई थी।
24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन को राहत देते हुए झारखंड हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो पहले इस बात की पड़ताल करें कि हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई योग्य है कि नहीं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिले माइनिंग पट्टे की ईडी जांच कर रही है। झारखंड हाई कोर्ट ने ईडी से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सीलबंद लिफाफे में दाखिल की गई रिपोर्ट को लेकर एक फैसला किया था। कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में दाखिल रिपोर्ट पर लिए गए आदेश को पलट दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई वाली एक खबर को रिट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा है, सत्यमेव जयते। वहीं, मुख्यमंत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख रहे झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने कोर्ट के फैसले की विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए बताया कि याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा की याचिका मोटिवेटेड है। उसका कोई भी कानूनी आधार नहीं है। कोई सबूत या साक्ष्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उन्होंने याचिका को सुनवाई योग्य माना था।