जाले, देशज टाइम्स। कृषि विज्ञान केंद्र जाले दरभंगा में चार फरवरी को तीन दिवसीय हर्बल गुलाल पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ।
केंद्र के अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर ने बताया कि होली में लोग रसायन युक्त गुलाल का इस्तेमाल करते हैं, जो उनकी त्वचा को हानि पहुंचाता है ऐसे में प्राकृतिक तरीके से बनने वाला हर्बल गुलाल मानव के लिए सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न रंगों का हर्बल गुलाल बनाकर होली या अन्य अवसरों पर युवा वर्ग खासकर महिलाएं गुलाल के नाम पर होने वाले खर्च को बचा सकती हैं। और, आस पड़ोस में इसकी बिक्री करवा कर अपने घरों के लिए आर्थिक आमदनी भी जुटा सकती है।
इस प्रशिक्षण की संचालिका गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी ने बताया कि इस कार्यक्रम में जोगियारा, नगरडीह, जाले तथा ततैला गांव के 30 ग्रामीण युवक एवं युवतियों ने भाग लिया है। इनमे उन्हें अलग-अलग प्रकार के फल एवं सब्जियों के इस्तेमाल से अबीर बनाना सिखाया जा रहा है।
प्रशिक्षणार्थियों ने चुकंदर से गुलाबी रंग पालक अथवा धनिया से हरा रंग तथा कच्चा हल्दी से पीला रंग बनाया ।गांव के बेरोजगार युवक एवं युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपना सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान केंद्र के अन्य वैज्ञानिक इंजीनियर अंजलि सुधाकर, डॉ. गौतम कुणाल, डॉ. सिराजुद्दीन, डॉ. जगपाल, डॉ. चंदन कुमार संजीव कुमार अमरेंद्र कुमार तथा अन्य कर्मी उपस्थित थे ।