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24 नवम्बर, 2024
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छपरा में दारू-बालू की धिक्कारी में लिप्त 3 ASI समेत 5 पुलिसकर्मी बर्खास्त, दरभंगा-मिथिलांचल की कब आएगी बारी…हे सरकार…

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देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। छपरा में तीन एएसआई समेत पांच पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। शराब और बालू माफिया से सांठगांठ के आरोप हैं। सारण जिले के एसपी ने पांच सिपाहियों-पुलिस पदाधिकारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।

गंभीर आरोप प्रमाणित होने के बाद पुलिस के वरीय पदाधिकारियों ने यह कार्रवाई की (Five policemen including 3 ASI sacked in Chhapra) है। मगर, सवाल यहीं से उठता है आखिर दरभंगा के आलाधिकारी या फिर संपूर्ण मिथिलांचल के पुलिस अधिकारी ऐसी कार्रवाई कब करेंगे…सांठ-गांठ तो यहां भी है…जो दिखा है…मगर कार्रवाई शून्य…आखिर क्यों…

जानकारी के अनुसार, छपरा के अलग-अलग थानों में तैनात पांच पुलिस पदाधिकारियों और जवानों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इनमें 3 एएसआई, एक जवान और एक पीटीसी शामिल हैं

चरित्र प्रमाण पत्र में रिश्वत लेने के आरोप में सिपाही 863 विकास कुमार, शराब कारोबारी से सांठ-गांठ में सअनि हरेंद्र पासवान, बालू माफिया से सांठ-गांठ में सअनि अशोक कुमार सिंह, ट्रकों से अवैध वसूली में सअनि उमेश राम एवं पीटीसी 724 उमेश कुमार का नाम शामिल है।

आरोप प्रमाणित होने के बाद इन सभी पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। ऐसे पुलिस के आलाधिकारियों के चलते ही दूसरे जिला के पुलिसकर्मियों में थोड़ा भय दिखता है। एक अरसे के बाद किसी एसपी ने इस तरह की कार्रवाई की है।

मिथिलांचल इलाके की बात करें तो यहां के पुलिसकर्मी को अपने आलाधिकारियों से कोई भय नहीं है। यहां अगर किसी पर आरोप भी लगता है तो लेन-देन कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है।

कई ऐसे उदाहरण है जो बयां करते हैं। यहां तक कि पुलिस मुख्यालय के आदेश निर्देश को भी रद्दी के टोकरी में डाल दिया जाता है। पुलिस के ही एक विभाग ने यहां के आला धिकारियों के कारनामे को एक पत्र के माध्यम से सरकार को सूचित किया है लेकिन सरकार की ओर से कार्रवाई नदारद है।

सूचना यह भी मिल रही है कि सरकार के पास जहां पत्र भेजा गया है वहां से वह पत्र किसी कर्मी की ओर से गायब कर दिया गया है। इस कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

जानकारी के अनुसार, पूर्व में दरभंगा जिला पुलिस के लिये प्रक्षेत्र हुआ करता था। यहां के डीआईजी और आईजी के पास जीतने मामले आते थे। उसे गंभीरता से लिया जाता था।

जांचों उपरांत अगर मामला सत्य पाया जाता था तो डीआईजी के नहीं चाहते भी आईजी कारवाई करते थे लेकिन अब इसके ठीक विपरीत काम हो रहें है। एसपी और आईजी का गठजोड़ हर मामले में बेजोड़ है इस कारण बेहतर पुलिसिंग नहीं हो पाती।

खैर सारण जिले में ऐसी कारवाई होने से पूरे बिहार में यह चर्चा का विषय है। लोग वहां के एसपी की वाह-वाही करने से कोई थक नहीं रहें हैं।

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