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24 नवम्बर, 2024
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Punjab के CM Beant Singh के हत्यारे राजोआना को Supreme Court से राहत नहीं, फांसी की सजा बरकरार

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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Punjab CM Beant Singh Assassination Case) के हत्यारे बब्बर खालसा के आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने की याचिका बुधवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने राजोआना को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि संबंधित पक्ष के फिर से अनुरोध करने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय उचित समय पर विचार कर सकता है।

न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने में देरी को उसकी सजा कम करने की अनिच्छा के रूप में माना जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने राजोआना की सजा कम करने की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद दो मार्च 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बलवंत सिह राजोआना को पंजाब के सीएम रहे बेअंत सिंह हत्याकांड (Punjab CM Beant Singh Assassination Case) में फांसी की सजा पहले से मिली हुई है। सजा को कम कराने के लिए उसकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में अर्जी दायर की गई थी।

लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है। राजोआना, पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था। उसके ऊपर आरोप है कि 31 अगस्त 1995 को जब पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या की गई तो वो भी उसमें शामिल था। 2007 में स्पेशल कोर्ट ने उसे फांसी सजा सुनाई थी।

अदालत ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी राजोआना की दया याचिका पर विचार कर सकते हैं।हमने जो निर्णय लिया है वह यह है कि याचिकाकर्ता की दया याचिका पर निर्णय टालने का गृह मंत्रालय का रुख भी यहां दिए गए कारणों के लिए हमारा निर्णय है।

जानकारी के अनुसार,  वर्ष 1995 में विस्फोट कर श्री सिंह समेत 18 लोगों की गई हत्या के इस मामले में गिरफ्तार राजोआना पिछले 26 साल से जेल में बंद है। उसने अपनी दया याचिका सालों से लंबित रहने को आधार बताते हुए 2020 में अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की गुहार शीर्ष अदालत के समक्ष लगाई थी।

विशेष अदालत ने पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना तथा एक अन्य आतंकवादी जगतार सिंह हवारा को बेअंत सिंह समेत अन्य की हत्या के मामले में 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। वर्ष 1995 में चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में बेँत सिंह और 17 अन्य लोग मारे गए थे।

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