29 नवंबर को होनेवाले पंचायत चुनाव के लिए प्रखंड की सभी 14 पंचायतों में चुनावी सरगर्मी तेज हो चुकी है। गांव-गांव में जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड मेंबर व वार्ड पंच के लिए पोस्टर व बैनर टंगने के साथ साथ प्रचार गाड़ी भी दौड़नी शुरु हो गई हैं। पढ़िए HanumanNagar से Panchayat Election पर Rupauli पंचायत से DeshajTimes की Ground Report
3671 पुरुष व 3185 महिला वोटर्स तय करेंगे भाग्य
गांव के चौक-चौराहों पर शतरंज के चाल की तरह राजनीतिक बिसात बिछाने की हर संभव कोशिश की जा रही है।लोकसभा व विधानसभा चुनाव के समय महागठबंधन व एनडीए को समर्थन देने वाले मुखिया को भी पिछले दरवाजे से पार्टी स्तर से सपोर्ट करने की बात चल रही है।
…बात हो रही है रुपौली पंचायत की
यह प्रखंड का एकमात्र ऐसा पंचायत है,जहां पड़ोस के दूसरे पंचायत के व्यक्ति ने भी दूसरी बार अपनी उम्मीदवारी दी है।इस बार यहां के लिए यह दूसरा मौका है जहां पंचायत से बाहर का उम्मीदवार मुखिया का चुनाव लड़ रहा है। पिछले पंचवर्षीय में हुए पंचायत चुनाव में यही बाहरी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे।
सबकी निगाहें मुखिया पद के प्रत्याशियों पर
इस पंचायत में कुल 12 वार्ड हैं। मतदाताओं की कुल संख्या 6856 है, जिसमें 3671 पुरुष व 3185 महिला वोटर्स हैं।यहां से मुखिया के एक पद के लिए 15,सरपंच के एक पद के लिए 11,पंचायत समिति के एक पद के लिए 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। वार्ड मेंबर के 12 सीटों के विरुद्ध 51 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
वहीं, वार्ड पंच के 12 सीटों में से 6 निर्विरोध है जबकि शेष 6 सीटों के लिए 13 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। मुखिया व सरपंच का सीट अनारक्षित है। पंचायत समिति का सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। पिछली बार इस पंचायत से 21 प्रत्याशियों ने मुखिया का चुनाव लड़ा था।
सबकी निगाहें मुखिया पद के प्रत्याशियों पर टिकी है। एक ओर जहां बाहरी उम्मीदवार को यहां के वोटर्स सिरे से नकार रहे हैं, पंचायत चुनाव में राजनीतिक हस्तक्षेप की बात से भी यहां के वोटरों में नाराजगी सामने आने लगी है।
यही नहीं मुखिया की तरह ही जिला परिषद सदस्य सीट के लिए भी यहां के लोग क्षेत्रीय प्रत्याशी को तरजीह देने के साथ साथ क्षेत्र से बाहर के उम्मीदवार को सिरे से खारिज कर रहे हैं।पंचायत समिति सदस्य व सरपंच पद को लेकर वोटरों के बीच कोई खास चर्चा नहीं सुनी जा रही है।
लोगों के मन में सबसे अधिक आक्रोश हर घर तक पक्की सड़क व नाली के लिए सरकार की ओर से संचालित गली-नाली पक्कीकरण योजना, शौचालय, हर घर नल का जल व प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली को लेकर है। निवर्तमान जनप्रतिनिधियों से इन सब बातों के लिए इस पंचायत के लोग खासे नाराज हैं।
स्वास्थ्य व्यवस्था खस्ताहाल
यही नहीं, यहां का स्वास्थ्य व्यवस्था खस्ताहाल है।पंचायत के वार्ड संख्या 3 में एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व वार्ड संख्या 12 में स्वास्थ्य उपकेन्द्र भी कागज पर ही भाड़े के मकान में संचालित हो रहे हैं। इन केन्द्रों पर कोई भी डॉक्टर या कर्मी नहीं आते हैं। बेहतर इलाज की तो छोड़िए, प्राथमिक उपचार के लिए भी यहां के लोगों को सीधे सीएचसी या डीएमसीएच ही जाना पड़ता है।
शिक्षा का हाल भी बदहाल है
एक मात्र नियमित शिक्षिका व 4 नियोजित शिक्षकों के भरोसे बेसिक स्कूल के पहली से आठवीं कक्षा तक के करीब 550 छात्रों शिक्षा दी जाती हैं। इस पंचायत के लोगों का यहां तक कहना था कि यहां के मुखिया दरभंगा, दिल्ली व जापान की यात्रा करने में व्यस्त रहे।
सूखे में कौन कहे, बाढ़ की विभीषिका के समय में भी निवर्तमान मुखिया पंचायत की जनता से कटे रहे। इनके समय में दलाली प्रथा खासी प्रभावी रही। इसके चलते ही दूसरे पंचायत के व्यक्ति यहां से मुखिया का चुनाव लड़ रहा है।
वार्ड मेंबर का चुनाव बना दिलचस्प
मुख्यमंत्री के सात निश्चय के तहत संचालित योजनाओं को लेकर वार्ड मेंबर के लिए चुनाव लड़ने में लोग काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। इस बार के मुखिया उम्मीदवार भी अपने अपने लोगों को हर तरह से मदद देकर वार्ड मेंबर का चुनाव लड़ा रहे हैं। इसका कारण पंचायती राज विभाग की ओर से सात निश्चय योजना के लिए जारी राशि मुखिया स्तर से वार्ड मेंबरों के बीच वितरित किया जाना है।
विरोधियों को मात देने के लिए यहां के प्रत्याशी स्मार्टफोन का सहारा ले रहे हैं। विशेषकर मुखिया व समिति पद के प्रत्याशी सोशल साइट के माध्यम से पंचायत में संचालित योजनाओं के लिए आवंटित राशि व खर्च के बारे में बताते हुए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह भी बताने की कोशिश कर रहे हैं कि योजना का पैसा आया लेकिन पंचायत में काम नहीं किए जाने के कारण राशि वापस चला गया। वहीं निवर्तमान जनप्रतिनिधि अपने किए कामों के दावे के सहारे वोट मांग रहे हैं।