बहुत सुकून से रहते थे हम अंधेरे में फ़साद पैदा हुआ रौशनी के आने से
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अब बिजलियों का ख़ौफ़ भी दिल से निकल गया ख़ुद मेरा आशियां मिरी आहों से जल गया कोई बिजली इन ख़राबों में घटा रौशन करे
ऐ अंधेरी बस्तियो! तुमको खुदा रौशन करे
अंधेरों को निकाला जा रहा है मगर घर से उजाला जा रहा है
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