

ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने के सारे प्रयास नाकाम हैं। मिनी बसें, लंबी दूरी की बसें, बाइक, रिक्शा यहां तक कि साइकिल सभी सवारी ओवरलोड दिखती हैं। बाइक पर ट्रिपल लोड अब चलन में है। वाहनों में इतनी ज्यादा भीड़ होती है कि कभी भी हादसे का डर बना रहता है। वाहन के अंदर जगह नहीं होने पर लोग बस की छत च गेट पर लटक कर सफर करने को मजबूर होते हैं। यातायात विभाग पूरी तरह नकारा ही है। सख्ती नहीं होने से यात्री वाहनों में चालक परिचालक सवारियां ठूंस कर भरते हैं। वाहन चालकों की यह मनमानी का सिलसिला, उनके लिए कमाई का साधन बना हुआ है। यातायात अधिकारी सब जानते हुए भी कोई कदम नहीं उठाते हैं।अधिकारी आते हैं चले जाते हैं शहर वहीं के वहीं अपनी इज्जत बचाने में तन्हा दिखता है। हालात यही है, मैं बहुत कुछ सोचता रहता हूँ पर कहता नहीं , बोलना भी है मना, सच बोलना तो दरकिनार









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