

रसीले और खट्टे-मीठे फलों का महत्व बढ़ गया है। इसके कारण फलों व हरी सब्जियों की कीमतों में वृद्धि भी हो जाती है। महंगाई के बावजूद इंजेक्शन लगे फल व सब्जियां लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं। इन दिनों शहर में जो भी फल आदि बिक रहे है, वे रसीले और मीठे होने की बजाय जहरीले ज्यादा प्रतीत हो रहे है, जिसका कारण है फलों का इजेक्शन पद्धति द्वारा विकास कर बेचने का कार्य। इजेक्शन प्रक्रिया से तैयार कर बेचे जाने वाले फलों में विशेषकर तरबूज, ककड़ी, खरबूजा, पपीता प्रजाति के कुछ जलीय फल है। लोगों ने बताया कि इन दिनों बिकने आने वाले तरबूज जैसे फल स्वादहीन और फीके देखे जा रहे है। तरबूज में तरबूज जैसा स्वाद ही ना होना यह सिद्ध करता है कि इस प्रकार के फलों को अपरिपक्व अवस्था में ही तोड़कर इजेक्शन के माध्यम से इसका आतरिक व बाहरी विकास कर आकíषत बनाया गया है, जिसे उपभोक्ता महगे भाव से खरीद कर घर ले जाता है। मगर काटने के बाद पता चलता है कि इसमें तरबूज का स्वाद ही नहीं है। उपभोक्ता पैसा लगाने के बाद भी तरबूज का असली मजा नहीं उठा पाता, बल्कि फल में केमिकल युक्त लगे इंजेक्शनों से विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों से जरूर घिर जाता है। संक्रामक बीमारियों में पेट दर्द, उल्टियां, बदहजमी, हिचकी, दस्त और मूत्र मार्ग में विकार आदि शामिल है। 









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